जी हाँ दोस्तों हमारे देश की सरकार और उसके मंत्री पगला गए हैं और वोह पागल कुत्ते की तरह से किसी को भी कभी भी काटने पर आमादा है .............आज संसद में जे दी यु के नेता ने जब कहा के कोंग्रेस ने अंग्रेजी बोलने और समझने वालों को बड़ा मंत्री बनाया है हिंदी वाले तो बेचारे ऐसे ही हैं तो कपिल सिब्बल हंस पड़े ............संसद में कोंग्रेस और भाजपा दोनों ही सभी विपक्ष के साथ मिलकर खुद को जनता और देश से बड़ा समझने की भूल करते दिखे ..मजेदार बात तो यह रही के कपिल सिब्बल संसद में संविधान को उलटा पढाने लगे ..देश की जनता और आम आदमी से बड़ी संसद को बताने लगे . आम आदमी की आवाज़ को संविधान विरोधी बताने लगे अभी देश के मसलों को जनता को विशवास में लिए बगेर मनमाने तोर पर तय किया जाता है और देश इसीलियें आज भ्रष्टाचार और नोकर शाहों और काला बाजारियों की भेंट चडा है ..सभी जानते है बच्चे को भी संविधान पढाते है के देश में जनता द्वारा जनता के लियें जनता का शासन है सांसद और विधायक जनता के लोकसेवक हैं जो खुद को जनता का मालिक समझने लगे हैं .कपिल सिब्बल कहते हैं के देश में एक बहर का आदमी किसी कानून बनने के पहले बहर बोलने का हक नहीं रखता ..यही तो सरकारों ने किया है तानाशाही के बल पर अब तक जनता का शोषण किया है खरीद फरोख्त की है हो हल्ला जूतम पैजार और हंगामा किया है .फिर सिब्बल जी जनता को पाठ पढ़ना चाहते हैं ...देश के विधान में लिखा है के जनता के लिए जो भी कानून बनाया जाएगा जनता से मशवरा करके जनता के हित में कानून संसद में पारित होगा लेकिन यहाँ कोई कानून बनता है जनता से कोई रायशुमारी नहीं ली जाती जनता को तो बदलने वाले कानूनों की जानकारी ही नहीं होती और खुद सांसद विधायक अनुपस्थित रहते है ऐसे कानूनों को बनाकर पेश करने के बाद इन कानूनों पर कितनी बहस कोनसा सांसद करता है लोकसभा या विधानसभा की कार्यवाही उठा कर देखने से पोल खुल जायेगी कई संसद और कई विधायक तो प्रस्तावित कानूनों और विधेयकों को खोल कर भी नहीं देखते हैं और फिर जनता को संसद से दूर रखने और संसद को जनता से बड़ी होने की बात करते हैं जो काम जनता के लियें किया जा रहा है उस कम के लियें जनता से बोलने का हक छिनना चाहते हैं .....क्या फर्क पढ़ता अगर अन्ना समिति का बनाया हुआ लोकपाल बिल भी सरकार के बिल के साथ संसद में रख दिया जाता बहस तो संसद में ही होती और जो भी प्रावधान ठीक होते उसमे से निकल कर बिल तय्यार हो जाता क्या किसी देश के नागरिक को संसद द्वारा की जा रही गलत कार्यवाही को सूधारने का सुझाव देने का अधिकार नहीं है ..ऐसे सारे अधिकार जनता को देश के संविधान ने दे रखे हैं और अन्ना के अनशन को असंवेधानिक बताने वाले आज बताएं के पहले जो लोग अन्ना को गिरफ्तार करने की राजनीति कर रहे थे आज उसी अन्ना की रिहाई के लिए गिडगिडा रहे हैं तो जनाब सरकार किसी भी समस्या या जनता की आवाज़ से निपटने में अक्षम है और उस पर अंग्रेजी सिर्फ अंग्रेजी जान्ने वाले प्रभावशाली मंत्री या बेकडोर एंट्री करने वाले मंत्री लोग देश की जड़े खोखली करने में लगी है काश इस वक्त सोनिया गाँधी देश में होती और वोह यह सब मंत्रियों की करतूतें देखती तो वोह इन सभी अराजकता पूर्ण आपराधिक सरकारी हालातों पर अंकुश लगातीं लेकिन बिना धनी ढोरी की कोंग्रेस इन दिनों पगला सी गयी है और भुगता राहुल और सोनिया को पढ़ेगा ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 अगस्त 2011
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Sahi jayza aur khari baat .
जवाब देंहटाएंsibbal sahab bade vakil hai...islye jante hai ki judge (sonia and rahul gandhi) ke saamne ko kasie khus karke apne favour me kia jaa sakta hai .
जवाब देंहटाएंपगलाए तो बहुत दिन से थे। अब तो दवा के असर में बोल रहे हैं।
जवाब देंहटाएंइसे निश्चित ही सकारात्मक लेखन कहा जाएगा।
जवाब देंहटाएंहम हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिख रहे हैं, यह बात आपके संज्ञान में है ही।
क्या आप इस विषय में तकनीकी जानकारी देता हुआ कोई लेख हिंदी ब्लॉगर्स के लिए लिखना पसंद फ़रमाएंगे ?
अब तक हमारी गाइड के 26 लेख पूरे हो चुके हैं। देखिए
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यह एक यादगार लेख है जिसे भुलाना आसान नहीं है।