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06 अगस्त 2011

अन्ना , कोंग्रेस ,भाजपा मिलकर देश में महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाना चाहते हैं ...........

 जी हाँ जनाब बात बड़ी अजीब सी है लेकिन सच यही है ....अन्ना , कोंग्रेस ,भाजपा मिलकर देश में महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाना चाहते हैं ...........देश में जब कोंग्रेस सरकार का भ्रस्ताचार चरम सीमा पर था और महंगाई ने सारे रिकोर्ड तोड़ दिए थे जनता त्राहि त्राहि कर रही थी ..भाजपा और कोंग्रेस की सुनारी लड़ाई चल रही थी मनमोहन की भाजपा नेता तारीफ करने में लगे थे और मनमोहन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी काले धन के जमाखोरों की सूचि सार्वजनिक करने को तय्यार नहीं थे तब अचानक अन्ना हजारे का लोकपाल विधेयक का संघर्ष छिड़ा ..मिडिया ने महंगाई से मरते हुए लोगों की खबरों को छोड़ कर ..भ्रष्टाचार से सिसकते देश की हालत को छोड़ कर अन्ना के बिल को प्रमुख खबर बनाया  फिर अन्ना और बाबा रामदेव  के टुकड़े किये अन्ना ने बाबा रामदेव से अलग होकर उन्हें कमज़ोर किया और सरे आम कोंग्रेस ने लाठी के बल पर बाबा रामदेव का गला घोंट कर उनकी बोलती बंद कर दी फिर भ्रष्टाचार और महगाई का जेसे ही बोलबाला शुरू हुआ अन्ना का फिर लोकपाल आ गया ...में कहता हूँ आखिर लोकपाल आ भी गया तो क्या फर्क पढ़ेगा जनता को क्या फायदा मिलेगा सरकार जो लोकपाल लाना चाहती है या अन्ना जो लोकपाल लाना चाहते  हैं अगर वोह आ भी जाए तो देश या देश की जनता को क्या फायदा मिलेगा कुछ नहीं तो फिर जनाब यह हो हल्ला यह सुनारी लड़ाई किस्लियें संसद में भाजपा के सांसद लोकपाल बिल के लियें कुछ नहीं बोलते हैं और बाहर चीखते चिल्लाते हैं तो यह तो सिर्फ एक मजाक ही कहा जा सकता है ..........तो जनाब समझ गए ना यह सब मिडिया मेनेजमेंट के साथ खुले आम डंके की चोट पर किये गए भ्रष्टाचार और मूल्यवृद्धि की काली करतूतों को दबाने के लियें कोंग्रेस , भाजपा,अन्ना का मिला जुला खेल है और जनता इस झांसे में आकर अपने दो वर्ष से भी अधिक समय को बर्बाद कर चुकी है ........
अब हम बात करे देश के भ्रष्ट लोगों को सजा देने की तो जनाब हमारे देश में भ्रष्टाचार निरोधक कानून है उसे कारगर बनाया जाए .हमारे पास भारतीय दंड संहिता है जिसमे दंड के सभी प्रावधान है केवल लोकसेवकों को अपराध किये जाने पर सजा से बचाने के लियें अंग्रेजों के इस कानून में जो दंड प्रक्रिया संहिता की धरा १९७ में बिना सरकार की स्वीक्रति के सरकारी चोरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की पाबंदी है उसे हटा दिया जाए फिर चाहे प्रधानमन्त्री हो चाहे सुप्रीमकोर्ट का जज हो चाहे चपरासी हो ,चाहे संत्री हो चाहे मंत्री हो सभी को दंड मिलने लग जाएगा आप सभी को पता है के देश में आज तक जिस भी भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है वोह खुद सरकार या सरकार के किसी अधिकारी ने नहीं किया है इसके लियें जनहित याचिकाएं दायर हुईं और सभी जनहित याचिकाओं पर जब सुप्रीमकोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच करवाई तब कहीं बेईमान लोगों को पकड़ा जा सका है लेकिन सरकार ऐसे न जाने कितने अपराधों को छुपा कर बेठी है कोंग्रेस , भाजपा और दुसरे दल सभी तू मेरी मत कह में तेरी नहीं खून और मिल जुल कर जनता का शोषण करे इसी पर लगे हैं .तो दोस्तों दंड प्रक्रिया संहिता की धरा १९७ जो सरकारी बेईमान और अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही में अडंगा है उसे हत्वा दो और देश के सभी भ्रष्टों को जेल भिजवा दो फिर ना लोकपाल चाहिए ना जोक्पाल चाहिए .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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