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04 अगस्त 2011

सरकारी बिल जला कर अन्‍ना ने शुरू की आर-पार की लड़ाई



 

 
नई दिल्ली. जन लोकपाल बिल के लिए सरकार और टीम अन्‍ना में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। गुरुवार को सरकार ने लोकसभा में बिल का मसौदा पेश कर दिया। उधर बिल पेश हुआ और इधर तबियत खराब होने के बावजूद अन्‍ना हजारे और उनके साथियों ने महाराष्‍ट्र के रालेगण सिद्धि में बिल की प्रतियां जला कर इसका विरोध किया। अब टीम अन्‍ना ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की चेतावनी दी है।

सरकार ने लोकपाल बिल की प्रतियां जलाए जाने की निंदा करते हुए कहा कि अन्‍ना हजारे और उनकी टीम ने ऐसा कर संसद का अपमान किया है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्‍बल ने कहा कि यदि हजारे लोकपाल बिल पर अलग राय रखते हैं तो उन्‍हें इसे संसद की स्‍थायी समिति के सामने रखनी चाहिए जो इस पर विचार करेगी।  

बिल की प्रतियां जलाने के बाद अन्‍ना हजारे ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्‍होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘हर राज्‍य में लोकायुक्‍त की नियुक्ति नहीं हुई तो भ्रष्‍टाचार पर काबू कैसे पाया जा सकता है।’ उन्‍होंने सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए चेतावनी दी कि सरकार के लोकपाल बिल की 'होली' देश के गांव-गांव में जलेगी।

16 अगस्‍त से अनशन शुरू करने पर अटल अन्‍ना ने कहा कि यदि देश से भ्रष्‍टाचार को मिटाना है तो आंदोलन का यह अच्‍छा मौका है और इसे हाथ से निकलने नहीं देना चाहिए। उन्‍होंने कहा, ‘युवाओं सहित सभी देशवासियों को इसे आजादी की दूसरी लड़ाई समझकर 16 अगस्‍त से शुरू हो रहे अनशन में शामिल होने की अपील करता हूं। मेरे शरीर में जब तक प्राण है तब तक अनशन जारी रहेगा। हम जेल भरो आंदोलन करेंगे।’ सरकारी लोकपाल को ‘गंदा लोकपाल’ बिल करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि सरकार ने सिविल सोसायटी के ड्राफ्ट की अनदेखी कर जनता से धोखाधड़ी की है।

टीम अन्‍ना के सदस्‍य अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्‍टाचार से आम आदमी को होने वाली तकलीफों को संसद में पेश लोकपाल बिल में जगह नहीं मिलने पर सरकार को निशाने पर लिया है। उन्‍होंने कहा, ‘सरकार का लोकपाल बिल गरीबों, दलितों और आम आदमी के खिलाफ है। इसमें ऐसे भ्रष्‍टाचार पर काबू पाने का जिक्र नहीं है जो सीधे आम आदमी से जुड़ती हैं। यह बिल भ्रष्टाचार से लड़ने और आम आदमी को राहत देने में नाकाम साबित होगा।’

केजरीवाल ने कहा, ‘दवाइयां सरकारी अस्‍पताल से गायब हो जाती है। नरेगा में गरीब मजदूरों का शोषण होता है। उन्‍हें मजदूरी नहीं मिलती। सड़कें टूट रही हैं। नगर निगमों में भ्रष्‍टाचार का बोलबाला है। इसके अलावा अन्‍य कई सरकारी दफ्तरों का भ्रष्टाचार सरकार के लोकपाल बिल के दायरे से बाहर है।’ सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘सरकार का बिल संसद की अवमानना है। यह देश के नागरिकों की अवमानना है। यह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ सख्‍त कानून नहीं है। यह कानून देश की जनता पर थोपा जा रहा है।’

केजरीवाल ने पिछले दिनों अन्‍ना के आंदोलन की रूपरेखा की जानकारी दी थी। उन्‍होंने कहा था कि सरकारी लोकपाल के खिलाफ देश भर में अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत गांव-गांव में टोलियां बना कर पदयात्रा का कार्यक्रम है। 10 से 16 अगस्त गांव--गांव में सुबह को प्रभात फेरियां और शाम को कैंडल मार्च निकालने का कार्यक्रम है। इसके बाद 16 अगस्‍त से दिल्‍ली में अन्‍ना हजारे का अनशन शुरू हो जाएगा। इस बीच 15 अगस्‍त को रात में 8 से 9 बजे के बीच बत्तियां बुझा कर लोगों से यह जतलाने की भी अपील की गई है कि उन्‍हें जो आजादी मिली है, उससे देश का अंधेरा मिटा नहीं है।

टीम अन्‍ना के एक अन्‍य सदस्‍य और जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार की ओर से सदन में रखा जाने वाला लोकपाल बिल का ड्राफ्ट बेहद कमजोर है। सरकार की ओर से तैयार मसौदे का विरोध करते हुए उन्‍होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार अनशन के लिए जगह मुहैया नहीं कराती है तो सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ेंगे।
   
इससे पहले, आज लोकसभा में बिल पेश करने से पहले सरकार ने टीम अन्‍ना को एक तरह से चेतावनी दी की वह संसद में यकीन रखें। संसद के बाहर संवाददाताओं से केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि आप संसद में यकीन रखिए या तो नहीं रखिए। उन्‍होंने कहा कि टीम अन्‍ना को संसद में यकीन रखना चाहिए।

सशक्त लोकपाल बिल की मांग करते हुए अन्ना हजारे 16 अगस्त से फिर अनशन पर बैठने का ऐलान कर चुके हैं।  बीजेपी और लेफ्ट ने भी सरकार की तरफ से पेश होने जा रहे लोकपाल बिल की आलोचना की है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने कहा है कि केंद्र सरकार एक वरिष्ठ गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता को धोखा दे रही है। लोकसभा में बिल रखे जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज ने भी बिल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्‍यायपालिका को नहीं रखे जाने का विरोध किया।

सीपीएम पॉलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने कहा है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल बिल का दायरे में लाया जाना चाहिए। सरकार की तरफ से पेश होने जा रहे बिल में प्रधानमंत्री को अपने कार्यकाल के दौरान लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।

आपकी राय
क्या अन्ना की बीमारी से मजबूत लोकपाल बिल के लिए मुहिम पर असर पड़ सकता है? क्या इससे अन्ना के समर्थकों का संकल्प और मजूबत होगा? क्या सरकार लोकपाल बिल को संसद से पास करा लेगी? इन मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करें।

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