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19 अगस्त 2011

अन्‍ना से निपटने के सरकार के पास हैं ये 3 उपाय, 2-3 दिन में हो जाएगा समझौता!


नई दिल्‍ली. मजबूत जनलोकपाल के लिए आंदोलन चला रहे अन्‍ना हजारे के अनशन का शुक्रवार को चौथा दिन है। आज से वह रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए हैं। मैदान पहुंचने पर समर्थकों को अपने पहले संबोधन में अन्‍ना ने ऐलान किया कि उनका अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक मजबूत जन लोकपाल बिल संसद में पेश करने की उनकी मांग मान नहीं ली जाती है। अभी उन्‍हें मैदान में सिर्फ 15 दिन तक अनशन करने की इजाजत मिली है। पर अन्‍ना जरूरत हुई तो इसके बाद भी अनशन करने पर अड़े हुए हैं। सरकार चाहती है कि जल्‍द से जल्‍द अन्‍ना का अनशन और आंदोलन खत्‍म करा दे। इसके लिए वह कई रणनीतियों पर काम कर रही है।

रणनीति नंबर 1
टीम अन्‍ना को बातचीत से मनाने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके लिए मध्‍यस्‍थ तलाशे जा रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि एनजीओ से जुड़े एक शख्‍स को जरिया बनाए जाने पर बात चल रही है। यह शख्‍स दोनों पक्ष का करीबी बताया जाता है। सरकार में कपिल सिब्‍बल और टीम अन्‍ना में किरण बेदी से इनकी करीबी बताई जाती है।
संकेत हैं कि सरकार को बातचीत की रणनीति में कुछ कामयाबी भी मिल रही है। टीम अन्‍ना इस बात पर सहमत हो गई है कि अनशन 15 दिन के भीतर ही खत्‍म कर लिया जाएगा। न्‍यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की अपनी मांग पर भी रुख नरम करने और दूसरी प्रमुख मांगों पर भी बीच का रास्‍ता निकालने पर सहमति की उम्‍मीद बढ़ी है।

आध्‍यात्मिक गुरू और अन्‍ना के आंदोलन को समर्थन दे रहे श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि अन्‍ना की मांगों पर फैसला 2-3 दिनों के भीतर हो जाना चाहिए।

रणनीति नंबर 2
टीम अन्‍ना ने जन लोकपाल बिल का जो मसौदा तैयार किया है, उस पर संसद में चर्चा करा कर सरकार अन्‍ना और उनके सहयोगियों का मुंह बंद करा सकती है। dainikbhaskar.com को सरकार में पैठ रखने वाले एक अहम सूत्र ने बताया कि अगले सप्‍ताह निजी विधेयक के तौर पर टीम अन्‍ना द्वारा तैयार जनलोकपाल बिल का ड्राफ्ट संसद में चर्चा के लिए रखा जा सकता है।
वैसे, भाजपा नेता वरुण गांधी ने भी संकेत दिए हैं कि वह टीम अन्‍ना द्वारा तैयार बिल निजी विधेयक के तौर पर संसद में पेश कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि इस दिशा में वरुण ने कमद आगे बढ़ाए हैं और लोकसभा अध्‍यक्ष से बात भी की है। कहा जा रहा है कि निजी विधेयक पेश करने के लिए एक महीने पहले नोटिस देने की अनिवार्यता को इस मामले में खत्‍म किए जाने की कवायद चल रही है।
अगर टीम अन्‍ना का ड्राफ्ट संसद में पेश हो गया तो उनकी फिर कोई मुख्‍य मांग ही नहीं रह जाएगी। इसके बाद अनशन वैसे ही खत्‍म हो जाएगा। टीम अन्‍ना यही कह रही है कि संसद में सरकार मजबूत लोकपाल बिल का ड्राफ्ट पेश करे। बाकी उसे पास करना या नहीं करना तो संसद का विशेषाधिकार है। संसद में समर्थन चूंकि सरकार के पक्ष में है, इसलिए सरकार अपनी मर्जी का बिल ही पारित करा पाएगी। लेकिन टीम अन्‍ना के बिल पर चर्चा करा के वह आंदोलन को खत्‍म करा सकती है।

रणनीति नंबर 3

यह नीति सरकार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है, फिर भी मजबूरन एक विकल्‍प के तौर पर इसे आजमाया जा सकता है। इस लिहाज से भी तैयारी है। इसके तहत अनशन को बंद कराने के लिए सरकारी मशीनरी का सहारा लिया जा सकता है।

डॉक्‍टरी रिपोर्ट या कानून का उल्‍लंघन के नाम पर अनशन में खलल डाला जा सकता है। सरकार ने टीम अन्‍ना से अन्‍ना हजारे के स्‍वास्‍थ्‍य की गारंटी मांगी है। अनशन के दौरान रोज तीन बार उनके स्‍वास्‍थ्‍य की जांच कराए जाने की भी मांग उनसे मनवा ली है। ऐसे में तीन-चार दिन और अनशन चला तो खराब स्‍वास्‍थ्‍य के आधार पर अन्‍ना को अस्‍पताल में दाखिल करवाया जा सकता है।

दूसरी ओर, पुलिस को भी तैयार रखा गया है। रामलीला मैदान की हर गतिविधि वीडियो कैमरे में कैद होगी। पुलिस को चप्‍पे-चप्‍पे पर नजर रखने के लिए

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