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04 जुलाई 2011

काले धन पर बुरी फंसी सरकार, रामदेव ने किया दीवाली मनाने का ऐलान

काले धन पर बुरी फंसी सरकार, रामदेव ने किया दीवाली मनाने का ऐलान


 
 
 
 
नई दिल्ली. सोमवार को काले धन के मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उन 26 खाता धारकों के नाम सार्वजनिक करने को भी कहा है कि जिनके स्विस बैंक में खाते हैं। सरकार पहले अंतरराष्ट्रीय संधियों का हवाला देकर इन नामों को सार्वजनिक करने से बचती रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से बाबा रामदेव बेहद खुश हैं। उन्‍होंने हरिद्वार में पत्रकारों से कहा, 'पतंजलि योगपीठ में दीवाली मनाई जाएगी। जिस मकसद के लिए मैं और मेरे समर्थक लड़ रहे हैं, उसी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल गठित की है। यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय है। सरकार ने काले धन का मुद्दा उठाने पर हमें तो सांप्रदायिक करार दिया, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट को क्‍या कहेगी?'
वित्‍त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अध्‍ययन करेगी और फिर जरूरी कदम उठाएगी।
कोर्ट ने काले धन के मामलों की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन का आदेश भी दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक एसआईटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस जीवन रेड्डी करेंगे। उनके साथ इस टीम में रिटायर जस्टिस एम बी शाह भी होंगे। एसआईटी सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगी।

एसआईटी को देश में और देश से बाहर जांच के लिए कई अधिकार मिले हैं। काले धन की जांच से जुड़ी देश की सभी एजेंसियों को एसआईटी की मदद करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को काले धन के मामले में सरकार की तरफ से चल रही सुस्त जांच को लेकर जमकर फटकार भी लगाई। जस्टिस सुदर्शन रेड्डी की डिविजन बेंच ने पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

गौरतलब है कि रामजेठमलानी ने अपनी याचिका में स्विट्जरलैंड के लीचटेंस्टाइन बैंक में काला धन जमा करने वाले 26 भारतीय खाता धारकों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की थी। 5 मई को दो जजों की बेंच ने इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

सरकार ने इस मामले में एसआईटी के गठन का पुरजोर विरोध किया था। काले धन की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने वाली सरकार ने यह दलील थी कि सरकारी समिति जांच में सक्षम है। सरकार का कहना था कि सिस्टम से बाहर की कोई भी एजेंसी जो जांच की निगरानी करेगी, वह कोर्ट को जवाबदेह नहीं होगी और ऐसी कोशिश का नतीजा सिफर होगा।

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