कोटा। भास्कर टीम ने जांच की शुरूआत बच्चों और महिलाओं के जेके लोन अस्पताल में पानी की सप्लाई से की तो एक टंकी में मिला मरा कबूतर और बाकी में काई तथा गंदगी। इन्हीं टंकियों का पानी मरीज और उनके परिजन पीते हैं।
बारिश के मौसम में संभाग के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस और जेके लोन के आउटडोर में करीब 300 मरीज प्रतिदिन जलजनित-मौसमी बीमारियों से पीड़ित आते हैं। इनमें से करीब 70 से 80 मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। इसके बावजूद ऐसे हाल हैं।
2 साल पहले हुई सफाई!
जेके लोन अस्पताल की छत पर बनी मुख्य टंकी की दो साल से सफाई नहीं हो पाई है, यह टंकी पर लिखे नोट से साबित होता है। इसी टंकी से पूरे कैंपस में जलापूर्ति होती है। छत पर इसके अलावा करीब 30-35 प्लास्टिक की टंकियां हैं। इनमें से एक पर भी ढक्कन नहीं है। टंकियों के अंदर झांकने से पता चलता है कि इनकी सफाई हुए भी जमाने हो गए।
पैंदे से लेकर टंकियों के ऊपर तक काई जमी है तो अंदर कचरा, कीड़े और अन्य गंदगी इन्हीं में से एक टंकी में मरा कबूतर भी तैर रहा है। इसकी स्थिति देखने से पता चलता है कि यह करीब दो-तीन दिन पुराना है। पूरी टंकी बदबू मार रही थी। जेके लोन अस्पताल की मुख्य टंकी से सभी 32 टंकियों में पानी की आपूर्ति होती है। यहां मुख्य बड़ी टंकी को सफाई हुए दो साल बीत चुके हैं। टंकी पर सफाई की तिथि 27 अप्रैल को 2009 लिखी थी। यानी कि मुख्य टंकी की सफाई दो साल पहले हुई थी।
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