कब तक होती रहेगी जांच, जल्दी बताते क्यों नहीं?
केंद्र ने शीर्ष कोर्ट में बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। जांच दो महीनों में पूरी हो जाएगी। इस पर जस्टिस आफताब आलम तथा आरएम लोढा की बेंच ने कहा, ‘दो महीने बहुत ज्यादा हैं। हमें जांच की मौजूदा स्थिति बताएं।’
ये निर्देश पूर्व चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह की याचिका पर जारी किए गए। लिंगदोह इस मामले की सीबीआई जांच चाहते हैं। उनका कहना है कि पुलिस इस मामले की अच्छे से जांच नहीं कर पा रही है। अत: सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच कराई जाए।
आगे क्या?: सरकार इस मामले में स्थिति रिपोर्ट तय अवधि में सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करेगी। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने यह जानकारी दी।
लिंगदोह की याचिका में आरोप
22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के दौरान भाजपा के तीन सांसदों को वोट के बदले उन्हें मिले नोट दिखाते देखा गया।
यह दृश्य देखकर पूरा देश स्तब्ध रह गया। फिर भी दोषियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस घटना की प्राथमिकी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लिखी। लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
आरोपों की जांच के लिए किशोर चंद्र देव की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय समिति बनी। लेकिन उसने भी कुछ खास नहीं किया।
दिखाए थे एक करोड़
भाजपा के तीन सांसदों-अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते तथा महावीर भगोरा ने विश्वास मत के दौरान एक करोड़ रुपए की राशि दिखाई थी।
इन नेताओं का कहना था कि यूपीए के फ्लोर मैनेजरों ने उन्हें समाजवादी पार्टी के एक नेता के जरिए खरीदने की कोशिश की। सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए ये नोट मिले।
विश्वास प्रस्ताव लाने की वजह: वामदलों ने भारत-अमेरिका परमाणु करार के मुद्दे पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस पर सरकार को लोकसभा में विश्वास मत प्रस्ताव लाना पड़ा था।
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