एक शीर्ष
ऊँचे पर्वत
की बुलंदी को देखकर
तुम यूँ ना घबराओं
कोशिश करो
चलते चलो
एवरेस्ट पर भी चढो
और फिर सोचो
एवरेस्ट की
जो ऊंचाई
कभी तुम्हे
डराया करती थी
आज वाही ऊंचाई
एवरेस्ट को जीत लेने के बाद
तुम्हारे कदमों में है ..............
बस बढ़ते चलो बढ़ते चलो
जीना और जितना
खुद बा खुद आ जाएगा .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 जुलाई 2011
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प्रेरणा देती रचना.. बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी बात कही।
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