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11 जुलाई 2011

एक जिस्म दो जान से रुसवा हुए मां-बाप, संशय में अस्पताल

एक जिस्म दो जान से रुसवा हुए मां-बाप, संशय में अस्पताल

 

 
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बैतूल/पाढर.एक जिस्म से जुड़ीं दो नवजात बच्चियों की हालत और अस्पताल का खर्च मां की ममता और पिता के स्नेह पर भारी पड़ गया। नतीजा ये हुआ कि इन मासूमों के माता-पिता इन्हें अस्पताल में ही बेसहारा छोड़कर चले गए। जिंदगी के महज आठ सवेरे देखने वाली इन बदनसीब बेटियों को अस्पताल से ले जाने वाला कोई नहीं है।
दरअसल, चिचोली ब्लॉक के चूड़िया गांव की रहने वाली माया यादव ने 2 जुलाई की शाम पाढर अस्पताल में दो ऐसी बच्चियों को जन्म दिया था, जिनका शरीर आपस में जुड़ा हुआ है। इन आठ दिनों में अस्पताल के इलाज का खर्च 20 हजार रुपए के पार हो गया। माया का पति हरिराम महज चार हजार रुपए ही जमा करा सका।
हरिराम ने अस्पताल प्रबंधक डॉ. राजीव चौधरी से निवेदन किया कि उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, वह इन बच्चों के इलाज और भरण-पोषण में सक्षम नहीं है। शनिवार को हरिराम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि वह दोनों बेटियों को सरकारी अस्पताल, आश्रम या अन्य संस्था को सौंपने का शपथ-पत्र तैयार कराने जा रहा है। लेकिन इसी दिन शाम को वह अपनी पत्नी को साथ लेकर भाग गया।
संशय में अस्पताल में प्रबंधन

बच्चों को छोड़कर गए दंपती और बच्चों को लेकर अस्पताल प्रबंधन संशय में है। अस्पताल प्रबंधक डॉ. राजीव चौधरी ने कहा कि मामले की सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को दे दी गई है। अस्पताल प्रबंधन ने यादव दंपती को वैधानिक स्थिति में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है। हरिराम और माया को बुलाकर चर्चा की जाएगी। अभी हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों की देखरेख करना है।
सिर व हाथ अलग, पैर और छाती जुड़े
ऑपरेशन से जन्मे इन नवजातों के पैर, छाती जुड़े हुए हैं, जबकि सिर और हाथ अलग-अलग हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे एकदम स्वस्थ हैं। इन बच्चों के शरीर अलग-अलग करने के लिए कई तरह के टेस्ट कराने होंगे जिसके आधार पर ही तय हो सकेगा कि बच्चों के शरीर को अलग किया जा सकता है या नहीं। उनके ऑपरेशन में कितना खर्च आएगा, फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है।

1 टिप्पणी:

  1. आश्चर्यजनक लेकिन दुखद

    "हरिराम और माया को बुलाकर चर्चा की जाएगी। अभी हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों की देखरेख करना है"

    लेकिन ये शब्द दिल को थोडा सुकून देते हैं - अख्तर जी साधुवाद

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