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18 जुलाई 2011

सरकार’ के घर साफ सुथरे, करदाता बेहा


 
 
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कोटा नगर निगम में चाहे भाजपा का बोर्ड हो या कांग्रेस का, जनप्रतिनिधि भी चाहे किसी पार्टी के हों उनके और अफसरों के घर और गलियां हमेशा साफ सुथरी ही मिलेंगी। वहां की सड़कें भी ठीक होंगी और रोड लाइटें भी। समस्याएं सिर्फ नागरिकों के लिए हैं चाहे फिर वह शहर का प्रमुख टैक्स चुकाने वाला व्यवसायी हो या नौकरीपेशा।
सोमवार को जब नगर निगम के बाहर शहर की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन चल रहा था और दोनों दल आपसी जोर-आजमाइश कर रहे थे, भास्कर ने शहर की महापौर, सीईओ, और विधायकों के घर-गलियों का जायजा लिया। उन कॉलोनियों के भी हाल देखे जिनमें शहर के प्रमुख नागरिक, करदाता और नौकरीपेशा रहते हैं।
कहने को ये पॉश कॉलोनियों की श्रेणी में आती हैं लेकिन वहां न नियमित कचरा उठता है और न ही सड़कें ठीक हैं। उधर निगम से जुडे नेता हों या अफसर अथवा फिर शहर के विधायकों के आवास और गलियां, एकदम साफ-सुथरी थीं। निगम में राज किसी भी पार्टी का हो, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व प्रभावशाली व्यक्तियों के गली-मोहल्लों के लिए किसी प्रकार के बजट, संसाधन, स्वीकृति व प्लानिंग की परेशानी आती है। इसके विपरीत शहर के जो उद्योगपति, व्यापारी, डॉक्टर, भारी-भरकम टैक्स भी देते हैं, वे भी इन समस्याओं से आए दिन जूझते रहते हैं। आम आदमी का ऐसे में क्या हाल होगा, समझा जा सकता है। शहर की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन चल रहा था उसी दौरान भास्कर ने शहर के दोनों वर्गो के हाल जानने की कोशिश की।

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