ऐ अंधेरों
तुम खुद के
घटाटोप होने पर
इतना क्यूँ इतराते हो ...
सिर्फ एक हाँ सिर्फ एक
रौशनी की
मामूली सी किरण
तुम्हारे घटाटोप अँधेरे को
रोशन कर
इस अँधेरे का गुरुर
तोड़ने के लियें काफी है .........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ... वाह साहब बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा।
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