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11 जुलाई 2011

एस्मा का ऐसा डर! रात तीन बजे डॉक्टरों ने ली हड़ताल वापस

एस्मा का ऐसा डर! रात तीन बजे डॉक्टरों ने ली हड़ताल वापस

 
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जयपुर। राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ से संबद्ध डॉक्टरों ने सरकार के साथ चार घंटे चली मैराथन वार्ता के बाद सोमवार रात करीब ३.00 बजे अपनी दो दिवसीय हड़ताल वापस ले ली। उनकी ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई। इससे पहले संघ से जुड़े प्रदेश के करीब ९ हजार डॉक्टरों ने मंगलवार से दो दनि तक सामूहिक अवकाश पर रहने तथा १४ जुलाई को राज्य सरकार को सामूहिक इस्तीफे सौंपने की घोषणा की थी। इसके बाद सरकार ने राजस्थान एसेंशियल मेंटिनेंस एक्ट (रेस्मा) लगा दिया था। इन मांगों पर सहमति
राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की प्रदेश महासचिव डॉ. नसरीन भारती ने बताया कि टाइम बाउंड प्रमोशन पर सहमत बिन गई है। इसके अलावा अस्पतालों को एकल पारी में संचालित करने, ग्रामीण भत्ता बढ़ाने, चिकित्सा सेवा को पंचायतीराज से मुक्त करने सहित अन्य मांगों पर कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट देगी। सरकार के साथ हुई वार्ता में कई बार तनातनी की स्थिति भी बनी। एकबारगी तो डॉक्टरों ने समझौते से साफ इनकार करते हुए हड़ताल यथावत रखने का फैसला किया था। इससे पहले भी संघ के पदाधिकारियों की सरकार के साथ दोपहर में करीब साढ़े तीन घंटे बैठक हुई थी, लेकिन उसमें मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी।
इस बीच, करीब सात हजार इस्तीफे भी संघ के पास पहुंच गए थे। डॉक्टरों की हड़ताल को रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी अपना समर्थन दिया था।
रेस्मा लागू होते ही बदली स्थिति
सरकार द्वारा डॉक्टरों पर रेस्मा लागू करने जैसा सख्त कदम उठाने के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला। हड़ताल को लेकर डॉक्टरों के अलग-अलग गुट बनने लगे। कुछ रेजिडेंट डॉक्टरों ने तो समर्थन वापस लेने तक का मानस बना लिया। इसी बीच सरकार की ओर से प्रस्ताव मलिने पर डॉक्टर वार्ता को राजी हो गए। रेस्मा के प्रावधानों में आवश्यक सेवा घोषति होने के बाद हड़ताल, सामूहकि अवकाश और सामूहकि इस्तीफे जैसी किसी भी कार्रवाई को गैर-कानूनी माना जाता है। इसका उल्लंघन करने पर बिना वारंट गरिफ्तारी का प्रावधान है। सरकार ने डॉक्टरों के पूर्व में दिए गए इस्तीफों को भी इसके प्रावधानों के दायरे में लेते हुए अवैध घोषति किया है।
ये किए थे वैकल्पकि इंतजाम
डॉक्टरों की हड़ताल की आशंका को देखते हुए चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचवि बीएन शर्मा ने सभी संभागीय आयुक्तों, कलेक्टरों और सीएमएचओ को वैकल्पकि व्यवस्थाएं रखने के निर्देश दिए थे। हड़ताल की स्थिति में रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों की सेवाएं लेने, मेडकिल कॉलेजों से डॉक्टर बुलाने और छुट्टियां रद्द करने के निर्देश दिए गए थे।
ये थी मांगें
केंद्र के समान वेतनमान। टाइम बाउंड प्रमोशन। राजस्थान सविलि मेडकिल सर्विसेज कैडर गठित किया जाए। चिकित्सा सेवाओं को पंचायतीराज विभाग के अधीन से हटाया जाए। हॉस्पटिलों का संचालन एकल पारी में। ग्रामीण भत्ता बढ़ाया जाए। डॉक्टरों के साथ कैंपस में मारपीट को गैरजमानती अपराध घोषित किया जाए। सेवारत चकित्सिकों की प्रोबेशन अवधि खत्म हो।
परिजन रोकें डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने से: गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉक्टरों के परजिनों से अपील की है कि वे डॉक्टरों पर हड़ताल नहीं करने के लिए दबाव डालें। डॉक्टरों को यह समझना चाहिए कि उनके नोबल पेशे के आम आदमी की जिंदगी के लिए क्या मायने हैं। मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि डॉक्टरों की ज्यादातर मांगें मान ली गई हैं। डॉक्टरों की हर वाजबि मांगों को सरकार सुनती है और सुलझाती है, लेकनि रोज नई-नई मांगें जुड़ जाना ठीक नहीं है। मंत्रियों की समिति लगातार डॉक्टरों के प्रतनिधिमिंडल से बात कर रही है और उम्मीद है जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।

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