आपका-अख्तर खान

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15 जुलाई 2011

पत्रिका गर्भनाल जेसा प्रकाशन देखा ना कोई ..................

अश्रु हास भी मना ...भूख प्यास भी मना ...यहाँ मनुष्य को मनुष्य मानना गुनाह है ...यहाँ सदा बंधी रही ...कल्पना हताशिनी ....बंदिनिं निराशिनी ..धर्मवीर भारती के इन उदगारों के साथ प्रकाशित पत्रिका गर्भनाल का इंटरनेट संस्करण ५६ और अंक पांच प्रकाशित हो चूका है ............डोक्टर यतीन्द्र वर्धनी इसके सम्पादकीय  सलाहकार हैं तो सुषमा शर्मा सम्पादक हैं ..पत्रिका का सम्पादकीय पढने से ही पत्रिका के वज़न और प्रकाशित सामग्री के चयन के बारे में अंदाजा लगा लिया जाता है ,,पत्रिका में हिंदुस्तान अम्रीका बन जायेगा तो केसा होगा .....दलित प्रश्न के आर्थिक पहलु ..इच्छा म्रत्यु एक संजीवनी ..सहित परख ...मुद्दा ..विमर्श .बातचीत ...आओ हिंदी सीखें ..खबरें ..परख ..किताब के नाम से बहतरीन रचनाएं कवितायें प्रकाशित की गयी हैं एक मैगज़ीन में गागर में सागर भर कर भरपूर ज्ञानवर्द्धक और सामग्री इन दिनों प्रकाशित किसी भी मैगज़ीन में मुश्किल से ही मिलती है लेकिन इस मैगज़ीन के प्रकाशन में सम्पादक जी और प्रकाशक जी ने जी जान लगा दी है ..गर्भनाल के प्रकाशन के लियें और बहतरीन संपादन के लियें सभी टीम को बधाई मैगज़ीन में कवी और लेखकों ने जो रचनाये लिखी हैं इसके लियें सभी लेखक और कवियों को भी बधाई .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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