जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले की सुनवाई में पुलिस महानिरीक्षक अजमेर रेंज को नागौर जिले के डेगाना पुलिस थाना के सहायक उपनिरीक्षक सोहनलाल के विरुद्ध अनुसंधान में कोताही बरतने पर अधिकारी के विरुद्ध उचित कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश सीएम तोतला ने प्रार्थी डेगाना तहसील अंतर्गत खुडीकलां गांव के निवासी रामनिवास की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तहत दिए ।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता इन्द्रराज चौधरी ने अदालत में बताया कि 21 जून 2011 को रात्रि 1.30 बजे रामदेव, हरदेवराम, भंवरराम, राजू एवं सुरेश वगैरह गाडिय़ों में सवार होकर उसकी ढाणी आए व उसके व उसकी पत्नी के साथ मारपीट कर उसकी नाबालिग बेटी को उठा कर ले गए। इसकी रिपोर्ट डेगाना थाने में लिखवाई जिसे आईपीसी की धारा 365, 458 व 325 के तहत दर्ज किया गया, लेकिन पुलिस ने आरोपियों के साथ मिलीभगत के चलते आज दिन तक न तो गिरफ्तार किया व न ही उसकी लड़की को बरामद किया।
इस पर खंडपीठ ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि या तो अनुसंधान अधिकारी आरोपियों से हाथ मिलाए हुए है, अन्यथा उसे अनुसंधान के बेसिक्स भी नहीं आते। उन्होंने आईजी अजमेर रेंज व पुलिस अधीक्षक नागौर को अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करते हुए मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को रखी गई है।
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