आपका-अख्तर खान

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01 जुलाई 2011

मेरी चाहत तूफान है

तुम से 
मेरे मिलन की 
बेताबी को 
तुम लाख 
दीवारे 
बना कर रोकना चाहो 
मेरी चाहत कोई हवा नहीं 
मेरी चाहत तूफान है 
वोह तुम तक 
पहुंचने के पहले 
थम नहीं सकेगा .........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ! चाहत कितनी दमदार है आपकी रचना से आभास होता है ! सशक्त प्रस्तुति ! बधाई !

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  2. तूफान न हो वो चाहत कैसी.

    जवाब देंहटाएं
  3. ज़मीन पर नहीं
    तो ख़्वाबों में मिलूंगा
    ख़्वाबों से बचोगे
    तो ज़न्नत में मिलूंगा
    तूफ़ान को थमने
    ना दूंगा
    निरंतर उम्मीद में
    जीता रहूँगा

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