तुम से
मेरे मिलन की
बेताबी को
तुम लाख
दीवारे
बना कर रोकना चाहो
मेरी चाहत कोई हवा नहीं
मेरी चाहत तूफान है
वोह तुम तक
पहुंचने के पहले
थम नहीं सकेगा .........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
bhut hi khubsurat chahat hai....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! चाहत कितनी दमदार है आपकी रचना से आभास होता है ! सशक्त प्रस्तुति ! बधाई !
जवाब देंहटाएंbhhot aachchH
जवाब देंहटाएंतूफान न हो वो चाहत कैसी.
जवाब देंहटाएंज़मीन पर नहीं
जवाब देंहटाएंतो ख़्वाबों में मिलूंगा
ख़्वाबों से बचोगे
तो ज़न्नत में मिलूंगा
तूफ़ान को थमने
ना दूंगा
निरंतर उम्मीद में
जीता रहूँगा