जी हाँ दोस्तों देश के बच्चों के ऊपर स्कुल की मोज मस्ती के बाद पढाई का बोझ फिर से शुरू हो गया है कल एक जुलाई से देश के सभी अंग्रेजी हिंदी और निजी विचारधारा वाले मदरसे पाठशालाएं खुल गयी हैं ..बच्चों पर वही किताबों और बसते का मनमाना बोझ बच्चों के माता पिता पर युनिफोर्म,स्कुल के मनमानी फ़ीस , मनमानी किताबों का कोर्स , ओटो बस सहित दूसरी लूटे शुरू हो गयी है इसके बाद भी दसवी क्लास तक बिना किसी पढ़ी के प्राथमिकताओं के बगेर पास होने की गारंटी पहले तो बचपन स्कूलों के नाम पर गम है और अब प्रतिभावान बच्चे जबरन पास करने के इस मनमाने कानून में गम हो गए है ....................देश के कई करोड़ बच्चे जो इस उम्र में पढना चाहते हैं या फिर जिन बच्चों को सरकार और सुप्रीमकोर्ट ने पढने के लियें पाबन्द कर सरकार की जिमेदारी देते हुए पढ़ी को शिक्षा के अधिकार में शामिल करवाया है आज इस अधिकार के सरकार के स्कूलों , सरकार के अधिकारीयों और सरकार द्वारा सुख सुविधाए , मान्यता लेकर चलने वाले स्कुल खुद मखोल उदा रहे हैं बच्चे आज भी सड़क पर है उन्हें पढने के लियें न तो प्रवेश है न कोई सुविधा बड्स ऐसे में यही तो हमारे देश की दुविधा है भाई ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 जुलाई 2011
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छोटा लिखा पर मोटा लिखा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_01.html