सरकार का अन्ना को जवाब- कानून बनाने बैठे हैं, संविधान बदलने नहीं
पीएम को लोकपाल बिल के दायरे में सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा के बारे में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, 'यह समय फिर से संविधान लिखे जाने का नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल आगामी मॉनसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। सरकार जल्द से जल्द यह बिल पारित करने की कोशिश में है। गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि लोकपाल बिल से देश के अधिकतर लोगों को फायदा होगा।
गृह मंत्री ने रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक का ब्यौरा देते हुए कहा, 'मीटिंग में हिस्सा लेने वाली सभी पार्टियों का भी मानना है कि कानून बनाने के लिए संसदीय प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर पार्टियों ने इस मसले पर सिविल सोसाइटी की सक्रियता पर भी सवाल उठाए।'
लोकपाल के मसले पर यूपीए में मतभेद के सवाल पर चिदंबरम ने कहा, 'यूपीए कोई पार्टी नहीं, बल्कि एक गठबंधन है। इस गठबंधन के हर सदस्य किसी मसले पर अपना विचार रख सकता है। संसद में एकजुटता होनी चाहिए और हम यह कोशिश कर रहे हैं। चाहे वह डीएमके हो या कोई अन्य पार्टी।'
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद संसदीय कार्य मंत्री पीके बंसल ने कहा कि मीटिंग में शामिल 31 में से दो या तीन सदस्यों ने कहा कि पीएम को लोकपाल बिल के दायरे में लाया जाना चाहिए, बाकी सदस्य इसके पक्ष में नहीं थे।
लोकपाल के दायरे में आने को लेकर पीएम के व्यक्तिगत विचार के बारे में कपिल सिब्बल ने कहा, 'हम किसी व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्था की गरिमा बरकरार रखने का प्रयास कर रहे हैं।'
टीम अन्ना इस बात पर अटल है कि अगर संसद में 'मजबूत लोकपाल' के लिए कानून पारित नहीं हुआ तो इसके लिए अनशन होगा। अन्ना हजारे की अगुवाई वाली सिविल सोसायटी चाहती है कि पीएम और शीर्ष न्यायपालिका को भी लोकपाल बिल के दायरे में लाया जाना चाहिए।
आपकी बात
लोकपाल बिल पर सरकार सहित सभी राजनीतिक दलों की मंशा साफ होती दिख रही है। सरकार दावा कर रही है कि सभी पार्टियां चाहती हैं कि संविधान के दायरे में रहकर ही लोकपाल बिल तैयार किया जाए। ऐसे में सिविल सोसायटी की पीएम और न्यायपालिका को इस बिल के दायरे में रखने की मांग क्या असंवैधानिक है? सरकार या राजनीतिक दलों के लोग इस मसले पर अपना रुख नहीं साफ कर रहे कि पीएम या शीर्ष न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में रखे जाने से क्या नुकसान होगा? आप क्या सोचते हैं इस मुद्दे पर। अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर करें।
लोकपाल की लड़ाई अब सरकार बनाम अन्ना, अनशन पर अटल हजारे
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