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15 जुलाई 2011

रोंग नंबर प्लीज़

एक साहब ने कोटा से बाहर जाने के बाद कोटा अपने घर फोन किया वहां उनके गंमें गोरखा ने फोन उठाया फोन पर साहब ने मेम साहब के बारे में पूंछा तो ..गोरखे ने अपने जवाब में मेम साहब को साहब के साथ कमरे में होना कहा साहब थे के आग बबूला हो गए उन्होंने गोरखे से कहा के में बाहर हूँ तो मेम साहब के साथ कोन साहब हैं ..गोरखे ने कहा के मुझे पता नहीं आप बताओं क्या करूँ ..साहब ने कहा के मेम साहब और साहब का दरवाज़ा खोल कर दोनों के गोली मार दे ..गोरखे ने वेसा ही किया और फिर साहब से पूंछा साहब दोनों की लाश का क्या करूँ ..साहब ने फोन पर ही कहा के घर के पीछे बने स्वीमिंग पुल में लाशें डाल दो ...गोरखा ने कहा साहब अपने घर में स्वीमिंग पुल कहाँ है ..फोन पर साहब की आवाज़ आई ओह रोंग नंबर प्लीज़ ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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