अब अन्ना-सरकार में जंग? भाजपा साथ, दिग्विजय का वार
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टीम अन्ना ने जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं मिलने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि निषेधाज्ञा के बावजूद अन्ना हजारे का शांतिपूर्वक अनशन होगा।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि संविधान के तहत देश के नागरिकों को हासिल मूल अधिकारों में भी शांतिपूर्वक सभा करने का प्रावधान है। यदि सरकार हमें अनशन पर बैठने से रोकती है तो यह संविधान की हत्या है।
बीजेपी ने भी टीम अन्ना को जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं देने पर सरकार को आड़े हाथ लिया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस हर उस शख्स को कुचलने में जुटी है जो भ्रष्टाचार का विरोध करता है। लेकिन कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने टीम अन्ना को एक तरह से चुनौती देते हुए कहा है कि सरकार किसी के अनशन से नहीं डरती है।
दिल्ली पुलिस ने अन्ना को जंतर-मंतर पर अनशन से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के 2009 में दिए गए एक आदेश का हवाला दिया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली में किसी भी स्थान पर बेमियादी धरना की इजाजत नहीं दे सकती। पुलिस का कहना है कि चूंकि उस वक्त संसद का सत्र चल रहा होगा, ऐसे में किसी को जंतर-मंतर पर पूरा जगह घेरने की इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि उस वक्त कई अन्य संगठन भी विरोध प्रदर्शन के लिए वहां जुट सकते हैं।
जंतर-मंतर पर धरने की इजाजत के लिए टीम अन्ना की ओर से लिखे खत के जवाब में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि टीम अन्ना चाहे तो अनशन स्थल दिल्ली के बाहरी इलाकों में शिफ्ट कर सकती है या फिर एक निश्चित समय-सीमा दे जिस दौरान उन्हें धरना-प्रदर्शन की इजाजत दी जा सके।
इससे पहले सरकार ने लोकपाल बिल के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट को मंजूरी देकर टीम अन्ना को झटका दिया। सरकार के मसौदे में मौजूदा पीएम और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है जबकि टीम अन्ना मौजूदा पीएम को भी लोकपाल के दायरे में रखना चाहती थी। (पूरी खबर पढ़ने के लिए पहली रिलेटेड खबर पर क्लिक करें)
केंद्रीय कैबिनेट ने सरकार के प्रतिनिधियों की तरफ से पेश किए गए ड्राफ्ट को कुछ बदलावों के साथ गुरूवार को हरी झंडी दिखा दी, लेकिन गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना के ड्राफ्ट को दरकिनार कर दिया। कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए बिल को संसद की मंजूरी के लिए 1 अगस्त से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार के एकतरफा फैसले से नाराज अन्ना और उनके समर्थकों ने 9 अगस्त को सरकारी बिल की प्रतियां जलाने का फैसला किया है।
आपकी बात
पहले टीम अन्ना के ड्राफ्ट की अनदेखी और अब जंतर-मंतर पर धरने की राह में रोड़ा। सरकार के इस कदम को आप किस रूप में देखते हैं? क्या सरकार अन्ना के साथ भी वही हश्र करने की फिराक में है, जैसा रामदेव के साथ हुआ था? अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर करें।
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