'दान' का भी दिया 'दाम'
कोटा। नगर निगम ने पिछले साल नवम्बर में बंधा स्थित गौशाला में दिए गए तिरपाल को दान का बताया, लेकिन बाद में इस तिरपाल का भुगतान कर दिया। लेखा शाखा ने इस राशि के भुगतान पर भी आपत्ति की, लेकिन फिर भी भुगतान हो गया। गत 26 नवम्बर को नगर निगम बोर्ड के कार्यकाल पूरा होने पर महापौर रत्ना जैन ने पार्षदों के साथ बंधा स्थित गौशाला का निरीक्षण किया था। यहां पर पशुओं के सर्दी से बचाव के लिए महापौर ने 105 नग तिरपाल दिए थे।
लेखा की आपत्ति
गत अप्रेल में लेखा विभाग ने खरीद पर आपत्ति करते हुए कहा कि यह संस्था राज्य सरकार का उपक्रम नहीं है, जिससे सीधे तौर पर आपूर्ति ली जा सके। सीधे तौर पर आपूर्ति लेने के लिए कोटा जिला सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार लिमिटेड ही अधिकृत है। दस हजार रूपए से अधिक की राशि की खरीद या आपूर्ति खुली निविदा के माध्यम से ली जानी चाहिए थी। बाद में इस बिल के भुगतान के लिए रास्ता निकाल लिया गया और उसमें से सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज कम करते हुए मई में संस्था को 32 हजार 413 रूपए का भुगतान कर दिया गया ।
कुछ ही दान के थे
सिर्फ कुछ तिरपाल ही दान के थे। अन्य तिरपाल के लिए दानदाता नहीं मिले, इसलिए फर्म को राशि का भुगतान किया गया।
-रत्ना जैन, महापौर
महापौर ने पहले तो तिरपाल को दान का बताकर आमजन को गुमराह किया, उसके बाद एक फर्म को लाभ पहंुचाने के लिए गुपचुप तरीके से भुगतान करा दिया। यह निगम के रूपयों के अपव्यय के साथ नियमों के विरूद्ध भी है।
-गोपालराम मंडा, पार्षद
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