बीते 16 जुलाई को स्वामी ने एक अंग्रेजी दैनिक के लिए यह लेख लिखा था स्वामी ने अपने लेख में इस्लामी आतंकवाद को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था। उन्होंने मुसलमानों से वोटिंग का हक नहीं दिए जाने की मांग करते हुए उन्हें राष्ट्रविरोधी करार दिया था। महाराष्ट्र अल्पसंख्य आयोग के वाइस चेयरमैन अब्राहम मथाई ने मुंबई पुलिस के मुखिया अरुप पटनायक को चिट्ठी लिखकर स्वामी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153(ए) के तहत आपराधिक मुकदमा चलाए जाने की मांग की है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने कहा है कि इस बारे में कानूनी सलाह ली जा रही है कि स्वामी के लेख से आईपीसी की किस धारा का उल्लंघन हुआ है। इस लेख पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी नाराजगी व्यक्त की है। हार्वर्ड के छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस नेता से संबंध तो़ड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। स्वामी बतौर 'गेस्ट फैकल्टी' इस विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने स्वामी के लेख की तीखी आलोचना करते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है। दिग्विजय ने कहा, ‘मैं सुब्रमण्यम स्वामी के सांप्रदायिक विचारों की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं और उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग करता हूं।’ स्वामी ने 13 जुलाई 2011 को मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद भारत में हिंदुओं को आत्मचिंतन करने की जरूरत बताते हुए कहा कि ‘हिंदू हलाल किया जाना कबूल नहीं कर सकते।’ अपने लेख में उन्होंने कथित तौर पर कहा है, कट्टरपंथी मुसलमान हिंदू बहुल भारत पर विजय को अपना ऐसा एजेंडा मानते हैं, जिसे पूरा किया जाना अभी बाकी है।
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