जरा खुलो तो बात बने
साफ़ धुलो तो बात बने
बुझे बुझे खोए खोए हो
मिलो जुले तो बात बने
हे हांसिल क्या ,पड़े पड़े यूँ
हिलो डुलो तो बात बने
भारी मन इकले हो यूँ ही
साथ चलो तो बात बने
हे मंशान उनके दिल की
तुम उबलो तो बात बने
भाता ही है यदि जलना
लो से जलो तो बात बने ...................रघुनाथ मिश्र ३ के ३० तलवंडी कोटा राजस्थान ..
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जुलाई 2011
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आभार पढ़वाने का.
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