तुम ही बताओं
आखिर कब तक
हाँ
आखिर कब तक
जियूं में
तुमसे मिलन की आस में ...
हां तुम ही बताओं
आखिर
तुम्हारी चाहत के लियें
में
कब तक सहूँ
इस दोज़क से
तड़पती जिंदगी को ..
हां तुम ही बताओं
इतने सालों से
जो तड़प तड़प कर
जी रहा हूँ
में सिर्फ और सिर्फ
तुमसे मिलन की आस में
अगर आखरी वक्त में भी
तुम न मिले
तो फिर क्या होगा .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 जुलाई 2011
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acchi rachna...
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