रोहतक. शहर में एक ऐसा स्कूल है, जिसमें 18 जुड़वा बच्चे पढ़ते हैं। इनके नैन नक्श इतने मिलते हैं कि पहली बार देखने पर कोई भी धोखा खा सकता है। स्कूल के टीचर भी कन्फ्यूज हो जाते हैं।
यह स्कूल है गोहाना रोड स्थित जोन वेस्ले स्कूल। इसमें शहर के अलग अलग नौ परिवारों के 18 बच्चे पढ़ते हैं, जो जुड़वा हैं। उनके जन्म में एक से तीन मिनट का ही अंतर है। जब वे स्कूल आते हैं तो उनके दोस्त उन्हें देखकर तरह तरह के सवाल पूछने लग जाते हैं। अगर किसी दिन कोई न आए तो दोस्त गलती से दूसरे का नाम संबोधित कर देते हैं। घर जाते हैं तो रिश्तेदार मजाक करते हैं। पड़ोसी भी मजाक करने से पीछे नहीं रहते।
सभी में स्नेह इतना है कि एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते। रोचक बात यह है कि इन बच्चों के नाम एक जैसे ही अक्षरों पर रखे गए हैं। मसलन एक का नाम सेजल है तो बहन का नाम सौम्या है। एक बहन का नाम शिवांगी है तो दूसरी का नाम शिवानी है। स्कूल प्रिंसिपल ममता मलिक कहती हैं कि जुड़वा होना कुदरत का करिश्मा है। स्कूल में जितने भी जुड़वा बच्चे हैं वे सभी के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। शुरू में उन्हें भी गलतफहमी हो जाती थी।
प्रॉब्लम को खुद करते हैं दूर
इन जुड़वा भाई बहनों में एक खास बात यह है कि जब भी पढ़ाई से संबंधित कोई प्रॉब्लम आती है तो एक दूसरे की मदद करते हैं। जब दोनों भी उसे हल नहीं कर पाते तो अपने मम्मी- पापा की मदद लेते हैं। हालांकि चीजों को लेकर कभी कभार झगड़ा भी हो जाता है।
नौ परिवारों के जुड़वा भाई-बहनें
गर्वित-गर्विश दूसरी कक्षा
मानव-मानसी दूसरी कक्षा
यशराज-नकुल दूसरी कक्षा
सौम्या-सेजल छठी कक्षा
शिवांगी-शिवानी छठी कक्षा
प्रगति-पीयूष छठी कक्षा
अमन-अंकित आठवीं कक्षा
आदिति-आदित्य दसवीं कक्षा
आयुषी-आकृति ग्यारहवीं कक्षा
यह स्कूल है गोहाना रोड स्थित जोन वेस्ले स्कूल। इसमें शहर के अलग अलग नौ परिवारों के 18 बच्चे पढ़ते हैं, जो जुड़वा हैं। उनके जन्म में एक से तीन मिनट का ही अंतर है। जब वे स्कूल आते हैं तो उनके दोस्त उन्हें देखकर तरह तरह के सवाल पूछने लग जाते हैं। अगर किसी दिन कोई न आए तो दोस्त गलती से दूसरे का नाम संबोधित कर देते हैं। घर जाते हैं तो रिश्तेदार मजाक करते हैं। पड़ोसी भी मजाक करने से पीछे नहीं रहते।
सभी में स्नेह इतना है कि एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते। रोचक बात यह है कि इन बच्चों के नाम एक जैसे ही अक्षरों पर रखे गए हैं। मसलन एक का नाम सेजल है तो बहन का नाम सौम्या है। एक बहन का नाम शिवांगी है तो दूसरी का नाम शिवानी है। स्कूल प्रिंसिपल ममता मलिक कहती हैं कि जुड़वा होना कुदरत का करिश्मा है। स्कूल में जितने भी जुड़वा बच्चे हैं वे सभी के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। शुरू में उन्हें भी गलतफहमी हो जाती थी।
प्रॉब्लम को खुद करते हैं दूर
इन जुड़वा भाई बहनों में एक खास बात यह है कि जब भी पढ़ाई से संबंधित कोई प्रॉब्लम आती है तो एक दूसरे की मदद करते हैं। जब दोनों भी उसे हल नहीं कर पाते तो अपने मम्मी- पापा की मदद लेते हैं। हालांकि चीजों को लेकर कभी कभार झगड़ा भी हो जाता है।
नौ परिवारों के जुड़वा भाई-बहनें
गर्वित-गर्विश दूसरी कक्षा
मानव-मानसी दूसरी कक्षा
यशराज-नकुल दूसरी कक्षा
सौम्या-सेजल छठी कक्षा
शिवांगी-शिवानी छठी कक्षा
प्रगति-पीयूष छठी कक्षा
अमन-अंकित आठवीं कक्षा
आदिति-आदित्य दसवीं कक्षा
आयुषी-आकृति ग्यारहवीं कक्षा
अरे मेरा शहर ओर मुझे पता नही... चलो अगली बार जाऊंगा तो यहां जरुर जाऊंगा.. ओर सब बच्चो के चित्र खींच कर लाऊंगा, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!