एक ही दिन में 148 मामले निपटाने वाला जज बर्खास्त
उधर, जज का कहना है कि उन्हें फंसाया गया है। कैथल में पदस्थ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज अश्विनी कुमार शौरी को 19 मई को फुल कोर्ट मीटिंग में बर्खास्त किया गया। फैसला शनिवार को सार्वजनिक हुआ। उन्हें 2007 के भ्रष्टाचार के मामले में कैथल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर राजेंद्र कटारिया का पक्ष लेने और तत्कालीन एडिशनल डिप्टी कमिश्नर संजीव वर्मा पर दबाव डालने के आरोप में बर्खास्त किया गया। वर्मा इस मामले में शिकायतकर्ता भी हैं।
दूसरी ओर शौरी ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, ‘मैं कटारिया को निजी तौर पर जानता ही नहीं हूं। फिर मैं किसी मामले में उनका पक्ष क्यों लूंगा। वो मुझे गलत तरह से फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल वर्मा सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ा ठेका अपने किसी दोस्त की कंपनी को दिलवाना चाहते थे। इस पूरे मामले में उनका स्वार्थ जुड़ा है।’
वर्मा की शिकायत के अनुसार, उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान में 10 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितताओं का मामला उजागर किया था। इस घोटाले में कटारिया भी शामिल थे। यह मामला शौरी की कोर्ट में 2007 में पहुंचा।
वर्तमान में पंचकूला जिले में एडिशनल डिप्टी कमिश्नर के तौर पर पदस्थ वर्मा ने कहा, ‘जब मैंने इस मामले का खुलासा किया तो कटारिया मुझसे नाराज हो गए। शौरी ने मुझे अपने रिटायरिंग रूम में बुलाया और मामला वापस लेने का दबाव बनाया।’
उधर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के प्रशासक के तौर पर पदस्थ कटारिया ने कहा, ‘मैं जब कैथल में पदस्थ था, तब वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के चार-पांच मामले मेरे सामने आए थे। वो ये सब खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं।’
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