वाह कुदरत
तेरा भी
अजब निजाम है
कल का दिन था
जब
हम खुद
जिंदगी से
तंग आकर
मरना चाहते थे
तब तो
तू हमे
यूँ ही
जिलाए जा रही थी
लेकिन
आज जब
हम फिर से जीना चाहते हैं
तो हमारे पीछे
मोत को
लगा डाला है
वाह री..
कुदरत तेरा
अजब निजाम
जिंदगी मांगे तो मोत मिलती है
मोत मांगे तो जिंदगी
जीना पढ़ती है ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बहुत खूब लिखा है बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा