उसने एक दिन
अपनी मासूम
नजरों की कलम से
यूँ मेरी
रूह पर लिख दिया ...
हाँ मुझे प्यार है तुमसे
यकीन मानिये
नाजाने कोनसी लिखावट थी वोह
आज तक किसी को
दिखी भी नहीं
और मेरी रूह के केनवास से
मिटी भी नहीं
बस यूँही कभी
कुछ जख्मों को
यह लिखावट
ऐसे ताज़ा कर देती है '
के इन जख्मों से
दर्द ओस की बूंदों की
तरह टपकता है
और जिस्म
पेढ़ की हवा की तरह
दर्द से सिसकता है ............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
bhut khubsurat panktiya...
जवाब देंहटाएंAkhatar bhai, kya gazab ka likha hai aapne.
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प्यार की परिभाषा!
ब्लॉग समीक्षा का 17वां एपीसोड--
बढिया कविता है अख्तर भाई
जवाब देंहटाएंउम्दा भावों के साथ- आभार
भारत में सरकार ने 10 करोड़ नेटयुजर्स का मुंह बंद करने के लिए 11 अप्रेल से आई टी एक्ट में संशोधन करके संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का गला घोंटने की कवायद शुरु कर दी है। अब तो ब्लॉगर्स को संन्यास लेना पड़ेगा। इसके लिए मदकुद्वीप से अच्छी जगह कोई दुसरी नहीं हो सकती। आईए मद्कुद्वीप में धूनी रमाएं एवं लैपटॉप-कम्पयुटर का शिवनाथ नदी में विसर्जन करें।
क्या बात है अख्तर भाई. बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअच्छा है भाई ! बहुत अच्छा है !!
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