आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 जून 2011

निगाहों से उसने रूह पर लिख दिया ..

उसने एक दिन 
अपनी मासूम 
नजरों की कलम से 
यूँ मेरी 
रूह पर लिख दिया ...
हाँ मुझे प्यार है तुमसे 
यकीन मानिये 
नाजाने कोनसी लिखावट थी वोह 
आज तक किसी को 
दिखी भी नहीं 
और मेरी रूह के केनवास से 
मिटी भी नहीं 
बस यूँही कभी 
कुछ जख्मों को 
यह लिखावट 
ऐसे ताज़ा कर देती है '
के इन जख्मों से 
दर्द ओस की बूंदों की 
तरह टपकता है 
और जिस्म 
पेढ़ की हवा की तरह 
दर्द से सिसकता है ............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

5 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया कविता है अख्तर भाई
    उम्दा भावों के साथ- आभार

    भारत में सरकार ने 10 करोड़ नेटयुजर्स का मुंह बंद करने के लिए 11 अप्रेल से आई टी एक्ट में संशोधन करके संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का गला घोंटने की कवायद शुरु कर दी है। अब तो ब्लॉगर्स को संन्यास लेना पड़ेगा। इसके लिए मदकुद्वीप से अच्छी जगह कोई दुसरी नहीं हो सकती। आईए मद्कुद्वीप में धूनी रमाएं एवं लैपटॉप-कम्पयुटर का शिवनाथ नदी में विसर्जन करें।

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है अख्तर भाई. बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छा है भाई ! बहुत अच्छा है !!

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...