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09 जून 2011

भंवरकुंज में बनेगी सुरक्षा रैलिंग


भंवरकुंज में बनेगी सुरक्षा रैलिंग

 

 
 
 
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कोटा. भंवरकुंज में अब बारिश का आनंद सुरक्षा रैलिंग के भीतर होगा। यहां फिर से ‘22 जुलाई 2009’ का दर्दनाक मंजर फिर नहीं दोहराया जाए इसके लिए ‘भास्कर’ की पहल पर वहां सुरक्षा रैलिंग लगाई जाएगी। यहां नाले के 60 फीट चौड़े पाट में एक से सवा मीटर की दूरी पर लोहे की मोटे खंभे लगाए जाएंगे, जो जमीन के अंदर चट्टानों को काटकर एक से दो फीट गहराई तक फिक्स किए जाएंगे।

खंभों के बीच में लोहे की जाली भी लगाई जाएगी, ताकि यदि कोई बहता है तो इस जाली व खंभों से बचाव कर सके। फिर से बारिश के मौसम में खतरे की आहट को भांपते हुए प्रशासन ने इसका जिम्मा यूआईटी को सौंपा है। यह काम डेढ़ माह में पूरा होगा, जिस पर सात लाख रुपए का खर्चा आएगा।

रियासतकाल में शिकार खेलने आते थे शासक: रावतभाटा रोड पर शहर से पांच किलोमीटर दूर भंवरकुंज का स्थान है। रियासत काल में इसे भंवर कराई के नाम से जाना जाता था, जहां शिकारगाह बनी हुई थी। रियासत काल में कोटा के शासक यहां शिकार खेलने जाते थे। यहां बरसात के समय पानी आने पर मनमोहक प्राकृतिक नजारा देखने को मिलता है। चट्टानों से पानी बहता हुआ चंबल में गिरता है जो जलप्रपात की तरह होता है। बरसात के समय यहां पानी का तेज बहाव होता है।

भास्कर की खबर पर तैयार हुआ प्रस्ताव: दो साल पहले चार इंजीनियरिंग के छात्रों के पानी के बहाव में बह जाने के बाद ‘ पर तत्कालीन कार्यवाहक कलेक्टर डीआर मीणा ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से सुरक्षा दीवार का प्रस्ताव तैयार कराया था। भंवरकुंज में 60 फीट चौड़े पाट वाले इस नाले को सुरक्षा चैनल लगाकर सुरक्षित करने के लिए इंजीनियर्स की मदद से एक डिजाइन तैयार करके प्रकाशित की थी। भंवरकुंज के लिए प्रस्तावित इस सुरक्षा दीवार का निर्माण अब यूआईटी द्वारा किया जाएगा।

अटका रहा 2 साल कार्य: बरसात आने वाली है, इसमें भंवरकुंज में कोई हादसा न होने को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने पिछले दिनों बचाव कार्यो की समीक्षा की। इसमें भंवरकुंज में सुरक्षा दीवार का मामला सामने आया। निर्माण विभाग के अभियंताओं ने बताया कि प्लान बना हुआ है। बजट नहीं होने से इसे लागू नहीं किया गया। तब दो साल से अटके इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी यूआईटी को दी गई और तैयार प्लान यूआईटी को सौंप दिया। यूआईटी ने अब इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी।

अच्छी पहल है सुरक्षा रैलिंग लगाना: जुलाई-2009 में मेरे कार्यवाहक कलेक्टर रहते हुए घटना के समय भास्कर की पहल पर सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था। किन्हीं कारणों से यह पूरा नहीं हो पाया। अब सुरक्षा रैलिंग लगाने का कार्य हो रहा है। यह खुशी की बात है। - डीआर मीणा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त

पीडब्ल्यूडी से लिया प्रस्ताव: भंवरकुंज में सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी से लिया गया है। यूआईटी इसे तैयार कर पीडब्ल्यूडी को संभला देगी। बाद में इसकी देखभाल संबंधित विभाग ही करेगा। इस पर लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आएगा। - आरडी मीणा, यूआईटी सचिव
 

 
 
 
 
कोटा. भंवरकुंज में अब बारिश का आनंद सुरक्षा रैलिंग के भीतर होगा। यहां फिर से ‘22 जुलाई 2009’ का दर्दनाक मंजर फिर नहीं दोहराया जाए इसके लिए ‘भास्कर’ की पहल पर वहां सुरक्षा रैलिंग लगाई जाएगी। यहां नाले के 60 फीट चौड़े पाट में एक से सवा मीटर की दूरी पर लोहे की मोटे खंभे लगाए जाएंगे, जो जमीन के अंदर चट्टानों को काटकर एक से दो फीट गहराई तक फिक्स किए जाएंगे।

खंभों के बीच में लोहे की जाली भी लगाई जाएगी, ताकि यदि कोई बहता है तो इस जाली व खंभों से बचाव कर सके। फिर से बारिश के मौसम में खतरे की आहट को भांपते हुए प्रशासन ने इसका जिम्मा यूआईटी को सौंपा है। यह काम डेढ़ माह में पूरा होगा, जिस पर सात लाख रुपए का खर्चा आएगा।

रियासतकाल में शिकार खेलने आते थे शासक: रावतभाटा रोड पर शहर से पांच किलोमीटर दूर भंवरकुंज का स्थान है। रियासत काल में इसे भंवर कराई के नाम से जाना जाता था, जहां शिकारगाह बनी हुई थी। रियासत काल में कोटा के शासक यहां शिकार खेलने जाते थे। यहां बरसात के समय पानी आने पर मनमोहक प्राकृतिक नजारा देखने को मिलता है। चट्टानों से पानी बहता हुआ चंबल में गिरता है जो जलप्रपात की तरह होता है। बरसात के समय यहां पानी का तेज बहाव होता है।

भास्कर की खबर पर तैयार हुआ प्रस्ताव: दो साल पहले चार इंजीनियरिंग के छात्रों के पानी के बहाव में बह जाने के बाद ‘भास्कर’ की पहल पर तत्कालीन कार्यवाहक कलेक्टर डीआर मीणा ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से सुरक्षा दीवार का प्रस्ताव तैयार कराया था। भंवरकुंज में 60 फीट चौड़े पाट वाले इस नाले को सुरक्षा चैनल लगाकर सुरक्षित करने के लिए 23 जुलाई 2009 के अंक में ‘भास्कर’ ने इंजीनियर्स की मदद से एक डिजाइन तैयार करके प्रकाशित की थी। भंवरकुंज के लिए प्रस्तावित इस सुरक्षा दीवार का निर्माण अब यूआईटी द्वारा किया जाएगा।

अटका रहा 2 साल कार्य: बरसात आने वाली है, इसमें भंवरकुंज में कोई हादसा न होने को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने पिछले दिनों बचाव कार्यो की समीक्षा की। इसमें भंवरकुंज में सुरक्षा दीवार का मामला सामने आया। निर्माण विभाग के अभियंताओं ने बताया कि प्लान बना हुआ है। बजट नहीं होने से इसे लागू नहीं किया गया। तब दो साल से अटके इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी यूआईटी को दी गई और तैयार प्लान यूआईटी को सौंप दिया। यूआईटी ने अब इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी।

अच्छी पहल है सुरक्षा रैलिंग लगाना: जुलाई-2009 में मेरे कार्यवाहक कलेक्टर रहते हुए घटना के समय भास्कर की पहल पर सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था। किन्हीं कारणों से यह पूरा नहीं हो पाया। अब सुरक्षा रैलिंग लगाने का कार्य हो रहा है। यह खुशी की बात है। - डीआर मीणा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त

पीडब्ल्यूडी से लिया प्रस्ताव: भंवरकुंज में सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी से लिया गया है। यूआईटी इसे तैयार कर पीडब्ल्यूडी को संभला देगी। बाद में इसकी देखभाल संबंधित विभाग ही करेगा। इस पर लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आएगा। - आरडी मीणा, यूआईटी सचिव

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