दोस्तों देश की पत्रकारिता भी अजीब है यहाँ विश्व स्तर पर देश के जो हालत जो चल रहे है उस पर पूरी प्रेस देश की इन हालातों के लियें प्रधानमन्त्री जी को काठ का उल्लू बता कर उन को ज़िम्मेदार ठहरा रही है लेकिन कल प्रधानमन्त्री जी ने पांच कथित बढ़े अख़बार जिनकी असल में छोटी सोच है उनके संपादकों को अकेले में बुलाया न जाने कोनसी पुडिया दी के प्रधानमन्त्री जी उनके अख़बार के लियें जेंटल मेन और पारदर्शी बन गए ...अजीब बात है जो अख़बार कल तक प्रधानमन्त्री जी के खिलाफ खुलेआम लिखते नहीं थकते थे वही अख़बार वाही संपादक जी अब इन देश के सबसे खराब प्रधानमन्त्री जी के लियें पक्ष में सम्पादकीय लिक्ख कर तारीफें कर रहे हैं ..अजीब बात है अजीब पत्रकारिता है अजीब देश है यहाँ जो सच है उसे लिखा जा रहा था लेकिन अकेले में केवल कुछ अपने पक्ष के लोगों को बुलाया और यह अख़बार प्रधानमन्त्री जी की जो कभी खिलाफत कर रहे थे आज उनके भांड बन गए है शायद इक्कीसवीं सदी की पत्रकारिता इक्कीसवी सदी का मिडिया ऐसा ही होता है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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