जोधपुर. सूर्यदेव ने भृकुटी तान रखी है और उनकी किरणों रौद्र रूप दिखा रही हैं। ऐसे में सुबह नौ बजे के बाद तो स्नान करना भी भारी पड़ रहा है, क्योंकि छतों पर लगी पानी की टंकियों का पानी 9-10 बजे ही जैसे उबलने लगता है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ कंपनियों ने ऐसा केमिकल तैयार किया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसकी कोटिंग दीवार, छत, टिन शेड, टंकी, कूलर आदि पर करने से धूप का प्रभाव कम होता है। कंपनियों का कहना है कि इस केमिकल की कोटिंग से तापमान करीब 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है, वहीं घर के भीतर के तापमान में 7 डिग्री तक की गिरावट आती है।
केमिकल पर कितना खर्च: केमिकल पर प्रति स्क्वायर फीट 20 से 25 रुपए खर्च आता है। एक कूलर पर करीब 500 से 700 रुपए तथा प्लास्टिक की एक टंकी पर करीब 700 से 900 रुपए तक खर्च हो जाते हैं। इसमें लेबर चार्ज शामिल नहीं हैं।
दोपहर में भी ठंडा पानी: घरों की छतों पर सीमेंट या प्लास्टिक की टंकियां बनी हुई होती हैं। तापमान बढ़ने के साथ इनमें पानी गर्म होना शुरू हो जाता है। इस केमिकल को इन टंकियों पर लगाने से पानी गर्म नहीं होता तथा दोपहर में भी ठंडा पानी मिल जाता है।
दीवारों व छतों पर मास्टर कोट केमिकल: यह केमिकल घरों की छतों व दीवारों पर लगाया जाता है। इससे सूर्य किरणों का असर कम हो जाता है और गर्मी से काफी राहत मिलती है। इस लेप को एक बार करवाने के बाद करीब 5 वर्षो तक इसका असर बना रहता है।
कूलर पर भी असर: गर्मी के इन दिनों में कूलर तेज धूप में गर्म हो जाते हैं और ठंडी हवा नहीं दे पाते। इस केमिकल की कोटिंग के बाद कूलर पर सूर्य की किरणों का असर कम हो जाता है। इससे कूलर में पानी की मात्रा भी अपेक्षाकृत कम खर्च होती है।
बिजली का बिल भी कम: कई कंपनियों का दावा है कि दीवारों व छतों पर यह केमिकल चढ़ाने से घरों में ठंडक रहती है, जिससे एसी को भी राहत मिलती है। एसी से गर्मी में बिजली का बिल बढ़ जाता है, लेकिन केमिकल के कारण एसी का पावर कंजम्पशन कम हो जाता है।
5 साल रहता है प्रभाव: इस केमिकल के उपयोग से गर्मी के तेवर काफी ढीले पड़ जाते हैं। इस केमिकल का प्रभाव करीब पांच वर्ष तक रहता है। इससे बिजली के बिल में भी फर्क पड़ता है। - नरेंद्र कुमार जोशी, केमिकल इंजीनियर व एक कंपनी के निदेशक
कोई साइड इफैक्ट नहीं: इस तरह के केमिकल से तापमान में वास्तव में काफी कमी आती है। वहीं इसके लेप से कूलर व टंकियों में भी ठंडक रहती है। इस केमिकल का पानी पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता और कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है। - सुशील सारस्वत, पूर्व विभागाध्यक्ष (केमिकल इंजीनियरिंग) एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ कंपनियों ने ऐसा केमिकल तैयार किया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसकी कोटिंग दीवार, छत, टिन शेड, टंकी, कूलर आदि पर करने से धूप का प्रभाव कम होता है। कंपनियों का कहना है कि इस केमिकल की कोटिंग से तापमान करीब 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है, वहीं घर के भीतर के तापमान में 7 डिग्री तक की गिरावट आती है।
केमिकल पर कितना खर्च: केमिकल पर प्रति स्क्वायर फीट 20 से 25 रुपए खर्च आता है। एक कूलर पर करीब 500 से 700 रुपए तथा प्लास्टिक की एक टंकी पर करीब 700 से 900 रुपए तक खर्च हो जाते हैं। इसमें लेबर चार्ज शामिल नहीं हैं।
दोपहर में भी ठंडा पानी: घरों की छतों पर सीमेंट या प्लास्टिक की टंकियां बनी हुई होती हैं। तापमान बढ़ने के साथ इनमें पानी गर्म होना शुरू हो जाता है। इस केमिकल को इन टंकियों पर लगाने से पानी गर्म नहीं होता तथा दोपहर में भी ठंडा पानी मिल जाता है।
दीवारों व छतों पर मास्टर कोट केमिकल: यह केमिकल घरों की छतों व दीवारों पर लगाया जाता है। इससे सूर्य किरणों का असर कम हो जाता है और गर्मी से काफी राहत मिलती है। इस लेप को एक बार करवाने के बाद करीब 5 वर्षो तक इसका असर बना रहता है।
कूलर पर भी असर: गर्मी के इन दिनों में कूलर तेज धूप में गर्म हो जाते हैं और ठंडी हवा नहीं दे पाते। इस केमिकल की कोटिंग के बाद कूलर पर सूर्य की किरणों का असर कम हो जाता है। इससे कूलर में पानी की मात्रा भी अपेक्षाकृत कम खर्च होती है।
बिजली का बिल भी कम: कई कंपनियों का दावा है कि दीवारों व छतों पर यह केमिकल चढ़ाने से घरों में ठंडक रहती है, जिससे एसी को भी राहत मिलती है। एसी से गर्मी में बिजली का बिल बढ़ जाता है, लेकिन केमिकल के कारण एसी का पावर कंजम्पशन कम हो जाता है।
5 साल रहता है प्रभाव: इस केमिकल के उपयोग से गर्मी के तेवर काफी ढीले पड़ जाते हैं। इस केमिकल का प्रभाव करीब पांच वर्ष तक रहता है। इससे बिजली के बिल में भी फर्क पड़ता है। - नरेंद्र कुमार जोशी, केमिकल इंजीनियर व एक कंपनी के निदेशक
कोई साइड इफैक्ट नहीं: इस तरह के केमिकल से तापमान में वास्तव में काफी कमी आती है। वहीं इसके लेप से कूलर व टंकियों में भी ठंडक रहती है। इस केमिकल का पानी पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता और कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है। - सुशील सारस्वत, पूर्व विभागाध्यक्ष (केमिकल इंजीनियरिंग) एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज
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