ज्ञान सिन्धु के भागीरथ साहित्यकारों को जोड़ने की मुहीम में लगे हैं जी हाँ दोस्तों राजस्थान के चित्तोड़ जिले के रावतभाटा कस्बे में निवासित भाई भागीरथ साहित्य की गंगा हिंदी ब्लोगिं के जरिये बहा रहे हैं ..रावतभाटा वेसे तो देश में परमाणु बिजली उत्पादन के लियें प्रसिद्ध है और रावतभाटा प्रशासनिक द्रष्टि से कोटा जिले में माना जाता है क्योंकि कोई भी आपात व्यवस्था मदद कोटा से ही जाती है ..भाई भागीरथ रावतभाटा में निजी स्कुल के माध्यम से लोगों में शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं ..लोगों को साक्षर कर रहे हैं लेकिन उसी के साथ वकील होने के कारण कानून की सीख भी वोह लोगों को दे रहे हैं ..भाई भागीरथ दुखी लोगों की मदद करना अपना धर्म समझते हैं और इसीलियें एक समाज सेवी संस्था के माध्यम से वोह क्षेत्रीय लोगों की मदद करने में जुटे हैं ......बहुमुखी प्रतिभा के धनि भाई भागीरथ अपना हिंदी ब्लॉग ज्ञानसिंधु वर्ष २००८ से चला रहे हैं ..इनके ब्लॉग की पहली पोस्ट इनके अपने अनुभव के अधर पर लिखी गयी थी जिसने मुंशी प्रेमचंद के लेखन की याद ताज़ा कर दी पहली पोस्ट आड़ीजात में भाई भागीरथ ने हिम्मत करके आज के आधुनिक युग में जब मायावती प्रधानमंत्री है तब भी छुआछूत और भेदभाव का दर्द इस पोस्ट में बयाँ किया है ..भाई भागीरथ ने गाँधी के हत्यारे ..लोकतंत्र के कलाकार ..भ्रूण हत्या जेसी पोस्टों में भी दलितों और साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ एक सच को उकेर कर रख दिया है ..भाई भागीरथ ने यूँ तो पलाश और अतिरिक्त दो ब्लॉग और तय्यार किये हैं लेकिन अभी तक उन पर पोस्ट खाली है ...भागीरथ जी की सबसे बहतरीन आदत यह हैं के इन्होने क्षेत्रीय साहित्यकार जो राष्ट्रीय स्तर पर लेखन क्षेत्र में अपने कीर्तिमान स्थापित किये जा रहे हैं उनकी छोटी छोटी रचनाये लिखना शुरू कर दी हैं जिसमे खासकर हाडोती कोटा सम्भाग के साहित्यकारों और रचनाकारों को भागीरथ जी ने प्रमुखता से तरजीह दी है ऐसी बहुमुखी प्रतिभा के धनि भाई भागीरथ द्वारा साहित्य और साम्प्रदायिक दलित अत्याचार के खिलाफ सुधारात्मक सोच की एक ऐसी गंगा बहाई है जिसे सभी की तरफ से मेरा सलाम ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 जून 2011
ज्ञान सिन्धु के भागीरथ साहित्यकारों को जोड़ने की मुहीम में लगे हैं
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अख्तर खान जी मैंने भी अपनी नौकरी के दो साल रावतभाटा में काटें है |यह बात आज से लगभग ३० साल पुरानी है |
जवाब देंहटाएंऔर आज भी मेरा संपर्क है |आपकी जानकारी ने यादें ताज़ा कर दीं आभार और शुभकामनायें