मां को ताले में बंद कर मुंबई गए बेटा-बहू लेकिन अफसोस नहीं
कोटा। छावनी तिलक नगर स्थित एक मकान में तीन दिन से बंद एक बुजुर्ग महिला को पड़ोसियों की शिकायत पर सोमवार देर रात पुलिस ने मुक्त किया। पड़ोसियों का कहना है कि इस महिला को उसके बेटे-बहू बंद कर मुंबई चले गए। दिन में भी पुलिस मकान पर पहुंची थी और रोशनदान के जरिये महिला से बात की थी। तब महिला ने कहा था कि वह घर से बाहर नहीं जाना चाहती, इस पर पुलिस लौट गई थी।
देर रात जिला कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस ने घर का ताला तोड़ा। पुलिस महिला से पूछताछ में जुटी थी, लेकिन वह घर पर ही रहना चाह रही थी। पुलिस यह जानने का प्रयास करती रही कि आखिर मामला क्या है? उससे बेटे-बहू के खिलाफ शिकायत देने को भी कहा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुई। पड़ोसियों ने कहा कि महिला को बेटे-बहू प्रताड़ित करते हैं और इसी कारण वह सहमी हुई है और शिकायत नहीं कर रही।
पुलिस व मोहल्ले वालों के अनुसार तिलक नगर के मकान नंबर 89 ए में रहने वाली 65 वर्षीय प्रेमलता जैन के पति प्रकाशचंद की लगभग 4 वर्ष पहले मौत हो गई। उनके साथ बेटा संजय व बहू रहते हैं। 18 जून को संजय व उसकी पत्नी कहीं चले गए। पीछे से मकान को ताला लगा गए।
मोहल्ले वालों ने जब देखा कि महिला अंदर बंद है और बाहर का ताला लगा हुआ है तो उन्होंने महिला से बात करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और एकल नारी संगठन एनजीओ को सूचना दी गई। पुलिस ने दिन में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम के साथ पहुंचकर महिला से रोशनदान से बात करने का प्रयास किया, लेकिन वह घर से बाहर आने को राजी नहीं हुई।
महिला ने कहा कि बेटे-बहू पांच दिन का खाना बनाकर गए हैं और वह किसी के खिलाफ शिकायत भी नहीं देना चाहती। इस पर पुलिस, एनजीओ और विभाग के प्रतिनिधि वापस लौट गए। देर रात कुछ लोगों ने जिला कलेक्टर से भी शिकायत की। इसके बाद रात करीब 11 बजे मकान का ताला तोड़ा गया और महिला को बाहर निकाला गया।
रो पड़ी वृद्धा
> पुलिस व लोगों को देखकर वृद्धा की रुलाई फूट पड़ी। उसने बताया कि बेटे- बहू पांच दिन के लिए बाहर गए हैं और पांच दिन का खाना एक साथ बनाकर गए हैं।
> पुलिस से शिकायत करने पर रुंधे गले से सिर्फ यही निकल रहा था, मैं अपनी मर्जी से रह रही हूं। मुझे कोई गिला-शिकवा नहीं है।
शिकायत दे तो होगी कार्रवाई
कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने बताया कि सूचना मिलते ही उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पुलिस को इसकी जानकारी दी। महिला अपने बेटे-बहू के बारे में कुछ नहीं बोल रही। यदि वह किसी प्रकार की शिकायत देती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
एक माह की सजा का प्रावधान
एडवोकेट महेश शर्मा के अनुसार माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-07 में प्रावधान है कि पीड़ित महिला या पुरुष एसडीओ को अपनी शिकायत दे सकता है। एसडीओ त्वरित सुनवाई करके भरण-पोषण के आदेश जारी करता है। पीड़ित के परिजन यदि आदेश की अवहेलना करते हैं तो उन्हें एक माह की सजा का प्रावधान है। इस मामले में इससे भी महत्वपूर्ण यह तथ्य है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन हुआ है।
देर रात जिला कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस ने घर का ताला तोड़ा। पुलिस महिला से पूछताछ में जुटी थी, लेकिन वह घर पर ही रहना चाह रही थी। पुलिस यह जानने का प्रयास करती रही कि आखिर मामला क्या है? उससे बेटे-बहू के खिलाफ शिकायत देने को भी कहा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुई। पड़ोसियों ने कहा कि महिला को बेटे-बहू प्रताड़ित करते हैं और इसी कारण वह सहमी हुई है और शिकायत नहीं कर रही।
पुलिस व मोहल्ले वालों के अनुसार तिलक नगर के मकान नंबर 89 ए में रहने वाली 65 वर्षीय प्रेमलता जैन के पति प्रकाशचंद की लगभग 4 वर्ष पहले मौत हो गई। उनके साथ बेटा संजय व बहू रहते हैं। 18 जून को संजय व उसकी पत्नी कहीं चले गए। पीछे से मकान को ताला लगा गए।
मोहल्ले वालों ने जब देखा कि महिला अंदर बंद है और बाहर का ताला लगा हुआ है तो उन्होंने महिला से बात करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और एकल नारी संगठन एनजीओ को सूचना दी गई। पुलिस ने दिन में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम के साथ पहुंचकर महिला से रोशनदान से बात करने का प्रयास किया, लेकिन वह घर से बाहर आने को राजी नहीं हुई।
महिला ने कहा कि बेटे-बहू पांच दिन का खाना बनाकर गए हैं और वह किसी के खिलाफ शिकायत भी नहीं देना चाहती। इस पर पुलिस, एनजीओ और विभाग के प्रतिनिधि वापस लौट गए। देर रात कुछ लोगों ने जिला कलेक्टर से भी शिकायत की। इसके बाद रात करीब 11 बजे मकान का ताला तोड़ा गया और महिला को बाहर निकाला गया।
रो पड़ी वृद्धा
> पुलिस व लोगों को देखकर वृद्धा की रुलाई फूट पड़ी। उसने बताया कि बेटे- बहू पांच दिन के लिए बाहर गए हैं और पांच दिन का खाना एक साथ बनाकर गए हैं।
> पुलिस से शिकायत करने पर रुंधे गले से सिर्फ यही निकल रहा था, मैं अपनी मर्जी से रह रही हूं। मुझे कोई गिला-शिकवा नहीं है।
शिकायत दे तो होगी कार्रवाई
कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने बताया कि सूचना मिलते ही उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पुलिस को इसकी जानकारी दी। महिला अपने बेटे-बहू के बारे में कुछ नहीं बोल रही। यदि वह किसी प्रकार की शिकायत देती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
एक माह की सजा का प्रावधान
एडवोकेट महेश शर्मा के अनुसार माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-07 में प्रावधान है कि पीड़ित महिला या पुरुष एसडीओ को अपनी शिकायत दे सकता है। एसडीओ त्वरित सुनवाई करके भरण-पोषण के आदेश जारी करता है। पीड़ित के परिजन यदि आदेश की अवहेलना करते हैं तो उन्हें एक माह की सजा का प्रावधान है। इस मामले में इससे भी महत्वपूर्ण यह तथ्य है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन हुआ है।
राजस्थान में वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम के प्रावधानों के तहत सम्बंधित थानाधिकारी, कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक की वृद्ध लोगों के कल्याण की ज़िम्मेदारी है जिसकी प्रादेशिक और जिला स्तर पर प्रतिमाह बैठकें आयोजित कर वर्द्ध पीड़ितों का सर्वेक्षण करवाकर उनकी शिकायतों का निराकरण भी आवश्यक है इस लियें यह इस अधिनियम के प्रावधानों के प्रति सरकार की उपेक्षा का एक बहुत बड़ा उदाहरण हैं ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
bete ke khilf jaaker aur musibat kaise le vo bridha .......bari dardnak sthiti hai vridho ki
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