आपका-अख्तर खान

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28 जून 2011

कहीं प्यार यही तो नहीं .

जिन हवाओं के 
झरोखों में 
कभी हम खुद को 
महफूज़ महसूस किया करते थे 
आज उसी हवा ने 
अपना रुख बदल कर 
आंधी बना लिया 
और इस आंधी ने 
हमे , हमारे आसपास के सभी लोगों को 
उजाड़ दिया है 
सोचता हूँ 
कहीं प्यार यही तो नहीं .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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