जिन हवाओं के
झरोखों में
कभी हम खुद को
महफूज़ महसूस किया करते थे
आज उसी हवा ने
अपना रुख बदल कर
आंधी बना लिया
और इस आंधी ने
हमे , हमारे आसपास के सभी लोगों को
उजाड़ दिया है
सोचता हूँ
कहीं प्यार यही तो नहीं .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
bhut hi acchi rachna....
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