यह आँखें देख कर ............हम सारी दुनिया भूल जाते हैं ..यह सच है लेकिन कई लोग ऐसे इस दुनिया में है जिनकी आँखे नहीं होने से वोह दुनिया को नहीं देख पा रहे हैं .....देश की जनसंख्या एक सो इक्कीस करोड़ है जबकि ६२३८९ लोग प्रति दिन मोत के घाट उतरते हैं ..इसी तरह ८६८५३ बच्चे प्रति दिन पैदा होते हैं जबकि हमारे देश में छ लाख ब्यांसी हजार चार सो सत्यान्वे लोग आँखे नहीं होने से सुनहरी जिंदगी का लुत्फ़ नहीं ले पा रहे हैं अगर हम सभी अपनी आँखे नेत्रदान के अभियान के तहत दान करें तो केवल ११ दिनों में ही देश के सभी अंधों को आँखें मिल सकती है ..क्या हम और आप ऐसा कर सकेंगे ..नेत्रदान महादान .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जून 2011
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सही बात आंकड़े सत्यता का प्रमाण है अच्छी सोंच , आभार
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी है!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल मैं तो जरूर करूंगी....
जवाब देंहटाएंnice thought...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे विचार हैं हमें नेत्र दान करना चाहिए......
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