हाँ मेने देखा है ...........
कुछ गुस्से में तुमने कलम उठाई
सफेद कागज़ पर चलाई
नाम उस पर मेरा लिखा
फिर
चेहरे पर गुस्सा आया
तुमें मेरा नाम लिखा
यह पन्ना
अपने दोनों हाथों से
बेरहमी से
मसल कर फाड़ दिया .
जी हाँ मेने देखा है
तुमने पेन्सिल उठाई
कागज़ फिर से उठाया
उस पर फिर से
मेरा नाम लिखा
फिर गुस्से में
रबड़ को
मेरे नाम पर घिस कर
उसे बेरहमी से
कागज़ के पन्ने से
मिटा दिया ..
में देखता हूँ
में सोचता हूँ
में जानता हूँ
तुम यूँ ही ऐसा कर के
वक्त अपना बर्बाद कर रही हो
कागज़ .कलम दवात से तो यूँ ही
रोज़ नाम लिख कर
तुम मिटा दोगी
लेकिन दिल में खुद के
जो मेरा नाम तुम लिख डाला है
उसे कोनसे रबड़ से
और केसे मिटा पाओगी
इसीलियें कहता
सच यही है
के हम आपके दिल में रहते हैं
और इस सच को तुम
यूँ ही मानलो .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सच कहा दिल पर लिखा नाम कोई कैसे मिटा सकता है……………बहुत भावभीनी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहाँ कोई और माने न माने ,
जवाब देंहटाएंहम ज़रूर माने हैं ,
आप हमारे दिल में रहतें हैं ,
शीशाए -दिल में छिपी तस्वीरे यार ,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली ।
आदाब !बेहतरीन रचना के लिए बधाई !
great article!
जवाब देंहटाएंSwachchh Sandesh
सच को स्वीकार कर ही लेना चाहिए
जवाब देंहटाएंbhut hi sadhe sue shabdo se bhaavo ko parstut kiya hai apne...
जवाब देंहटाएंWah! Wah!, Good
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