हमने समझा था हाकम से करेंगे फरियाद... वोह भी कमबख्त तेरा चाहने वाला निकला जी हाँ दोस्तों यह शेर किसी शायर ने उस वक्त लिखा था जब अंग्रेजों के ज़ुल्म के खिलाफ कोई भी मजलूम भारतीय अपनी शिकायत लेकर अंग्रेजों के गुलाम जागीरदारों,राजाओं और फिर गवर्नर,वाइसराय ,क्वीन एलिजाबेथ के पास जाते थे तब उन्हें अहसास होता था के यहाँ तो पुरे कुए में भांग घुटी है और वक्त हर शख्स के दिल और दिमाग में बस यही चंद लाइनें गुंजा करती थीं ..
आज रामलीला मदन की रावण लीला महाभारत को खुद सोनिया और प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने लाइव टेलीकास्ट देखा है लेकिन न तो उन्हें देश की फ़िक्र है और ना ही जनता के दुःख दर्द की फ़िक्र हैं उन्हें फ़िक्र है तो केवल काले धन के व्यापारियों की भ्रष्ट और कालेधन वालों को केसे बचा सकते हैं बस इसी जुगाड़ में जनता पर ज़ुल्म ढा रहे हैं ..आज भाजपा ऍन डी ऐ के नेता कालेधन को भारत वापस लाओ मांग के जनक लाल कृष्ण अडवाणी के नेत्रत्व में राष्ट्रपति से मिले उन्हें घटनाक्रम बताया और संसद स्तर आपातकालीन बुलाने की मांग की लेकिन उस वक्त भी यही शेर यही लेने इन लोगों को याद आ रही थीं भला हो देश की सुप्रीमकोर्ट का जो उसने सो मोटो सरकार पर शिकंजा कसने के लियें हालातों पर जवाब तलब कर लिया है इस लड़ाई में अन्ना को जन्तर मंतर से छू मंतर करने के लियें सरकार पाबंदी लगा रही है लेकिन आन्दोलन और फिर आज़ाद देश का आन्दोलन गेंद की तरह होता है इसे जितना दबाव इतना ही तेज़ यह गेंद उछलती है अब देखते हैं आगे क्या होता है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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