पैगम्बर हजरत मोहम्मद की स्म्रतियों की जियारत इस वीडियो के जरिये करे और धन्य हो जाएँ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 मई 2011
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जनाब अख्तर खान अकेला साहब, आपने यह पोस्ट क्यों लगायी मुझे समझ में नहीं आ रहा है. आप तो धार्मिक बातों को विवाद कहते है. हद है आप भी न जनाब. कितना लिखते हैं पर क्यों लिखते हैं , मैं समझ नहीं पाया . आज आप "हल्ला बोल" को लेकर बहुत सारी बाते लिख दी, निश्चय ही जो बाते आपने लिखी है, उसका मैं समर्थन करता हूँ. आप के सभी विचार अति उत्तम है. पर आप अपने विचारों पर अडिग नहीं रहते. आप एक अच्छे पत्रकार हैं अच्छे लेखक हैं, पर इसमें कोई संशय नहीं की आप एक अच्छे चाटुकार हैं., आपने लिखा " रोज़ सुलगने से.... " इसे आपने विवादित पोस्ट बता दी क्योंकि यह पोस्ट हिन्दुओ के बारे में लिखी गयी थी. पर जब यह पोस्ट आप लिख रहे थे तो आपके अन्दर का मुसलमान जाग उठा था. आप को बहुत तकलीफ थी की एक संगठन हिन्दुओ का बन गया. जब हिन्दू अपनी बात करे तो विवादित, और आप जैसे लोग {माफ़ कीजियेगा, यहाँ सिर्फ आपसे मतलब नहीं है. } इस्लाम की बात करे तो धार्मिक, वाह भाई वाह क्या बात है.
जवाब देंहटाएंमैंने देखा है आप एक पत्रकार की तरह लिखते है. क्योंकि आप एक पत्रकार हैं. यही वजह है की हिन्दुओ के हर पर्व पर आपने लेख लिखे है. पर आप जब किसी ब्लोगर के बारे में लिखते हैं तो आपकी पत्रकारिता सिसकने लगती है. यदि नहीं तो आपको "हल्ला बोल" ही क्यों दिखाई दिया , सलीम खान और जमाल ने जब मोहम्मद को ही अंतिम अवतार बताया और सभी को इस्लाम [छुपे शब्दों में} अपनाने की बात कही, हिन्दू देवी देवताओ का मजाक उड़ाया. हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाया तो आपको विवाद दिखाई नहीं दिया, और आपने उनकी तारीफ में कशीदे पढ़े... क्यों भाई इसीलिए की वे मुसलमान थे. आपके भाई थे.
जो अनवर जमाल "ब्लॉग की खबरे " में निष्पक्ष पत्रकारिता की बात करते हैं, उन्होंने इस ब्लॉग की पोस्ट और कमेन्ट क्यों हटा दिए.
जवाब देंहटाएंयह हिन्दुओ की संस्कृति है की वह गाली के बदले गाली देना नहीं चाहता. वह तो प्रेम से बाहें फैलाता है अपने भाईयो को अपने आगोश में लेने के लिए, पर वही भाई जब गले मिलता है तो उसके हाथ में तेज धारदार हथियार भी होता है, ताकि समय हाथ लगे तो पीठ में छूरा घोंप दो, क्यों भाई हमारे प्रेम का यही मतलब है.
हम तो शुरू में ही कह दिए की वीर अब्दुल हमीद, अशफाकुल्लाह खान, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जैसे मुसलमानों का और इनके इस्लाम का हम वंदन और अभिनन्दन करते हैं. पर हम बाबर और लादेन के इस्लाम का विरोध करेंगे. क्योंकि बाबर और लादेन का इस्लाम हिंसा के दम पर पूरे विश्व को इस्लाममय बनाना चाहता है. अफ़सोस है की इसी इस्लाम को मानने वालो की संख्या आज भी भारत के अधिसंख्य मुसलमानों में है. और जिसके अन्दर यह भावना है वह इंसानियत और मानवता का दुश्मन है, और ऐसे मुसलामन राष्ट्रद्रोही हैं गद्दार हैं.
आपने जो लेख लिखा है वह प्रशंसनीय है, पर यही लेख आपको उस समय लिखना चाहिए था जब अन्य मुस्लिम ब्लोगर हिन्दुओ की बुराईयाँ लिखने में अपनी अंगुली को तकलीफ दे रहे थे.
पर आप नहीं लिखेंगे क्योंकि आप पर फतवा जारी हो जायेगा. आपको इस्लाम से बर्खास्त कर दिया जायेगा. है न यही बात, यदि नहीं तो उन मुस्लिम ब्लोगरो का ब्लॉग पढ़िए और बताईये जिनके तारीफ में आपने कसीदे पढ़े थे, वे सच हैं या फिर आपकी चाटुकारिता,
आप "हल्ला बोल" को विवादित बता रहे हैं. आखिर क्यों , मुझे तो इसमें कोई विवाद नहीं दिखाई देता. किस बात पर आपको विवाद दिखाई दिया आप बताएँगे. जो सच है उसे लिखा गया वह पूरे प्रमाण के साथ, उसमे किसी धर्म को नीचा नहीं दिखाया गया, यदि ऐसा है भी तो उसके प्रमाण है. फिर भी आप या किसी मुस्लिम ब्लोगर को लगता है की वह गलत है तो यह मंच सभी मुस्लिमो को चैलेन्ज देता हूँ, आप सभी को लेकर आयें और हमसे बहस करें. हमारे मंच के योद्धा आपकी हर बात का सटीक जवाब देंगे की आप कहा गलत हैं. और वह भी उसी शालीनता के साथ जो हमें हमारी हिन्दू सभ्यता और भारतीय संस्कृति सिखाती है.
हम इस बात के प्रमाण हैं की हम सच्चे और देशभक्त मुसलमान भाईयों का स्वागत करते हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण है. बालकृष्ण रूप मनमोहन रूप धरे वह मासूम बच्चा जो नकाब पहने अपनी माँ के साथ जा रहा है. और फौजिया जी की कविता..
जनाब अख्तर खान साहब, मैं सभी मुसलमान भाइयों को यहाँ आमंत्रित कर चूका हूँ. आये और वे देंखे क्या है हमारी संस्कृति जो पूरे विश्व का का मन मोह रही है. और आप जैसे लोग बिना सोचे समझे उसे विवादित घोषित करते हैं. पर पता नहीं क्यों मुस्लिम ब्लोगर मुह चुराकर बैठे है,
जी हां " रोज़ सुलगने से अच्छा है धू-धू कर जल जाने दो"
क्या गलत है इस बात में, जो सवाल हम सभी के मन में हैं उसका जवाब हमें मिलना चाहिए. क्यों अन्दर ही अन्दर सुलग रहे हो आप लोग, और क्यों बिना सिर पैर की बात कर हमें सुलगा रहे हो. आओ और हमें साबित करो की हम गलत हैं और क्यों............? अपनी पूरी टोली मण्डली लेकर आईये और एक-एक पोस्ट पढ़कर बताईये क्या गलत है. पर मुझे पता है की कोई आएगा नहीं क्योंकि उसके अन्दर, माफ़ कीजियेगा आपके अन्दर भी सच को स्वीकार करने की क्षमता नहीं है. जाईये चुपचाप सो जाईये आपका साथ एक भी मुस्लिम ब्लोगर नहीं देगा, क्योंकि किसी के अन्दर सच की क्षमता नहीं है....