हम कहते थे ना .....
किसी को
क्यूँ चाहते हो इतना
के उसको
चाहते रहने की आदत हो जाए ..
हम कहते थे ना
इतना न चाहो किसी को
के उसको
देखते रहना
एक ज़रूरत हो जाये
हम कहते हैं
जरा हमारी भी
बात लो
थोड़ा जीना सिख लो
हमारी तरह
उनसे दूर रहकर
कहीं तुम्हे भी
हमारी तरह
उनसे अलग रहकर
जीना पढ़ जाए ...........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
bhut hi khubsurati se likha hai apne dil ke bhaavo ko...
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा