यूँ आकर
मेरे पहलु में
वोह आकर बेठे
जुल्फे लहरायीं
थोड़ी कजरारी आँखे मटकायीं
और कहा
मेरा इन्तिज़ार करना
में अभी आती हूँ
बस
यूँ ही
सदियाँ गुज़र गयीं
वोह नही आये
फिर भी मुझे
उनका इन्तिज़ार है .....................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
bhut acchi panktiya...
जवाब देंहटाएंओह्………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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