दोस्तों कल परशुराम जयंती है और देश के ब्रह्मण समाज के लोग इसे गोरव दिवस के रूप में मना रहे है ..इस आवसर पर देश और विदेश में सभी भारतियों को चाहे वोह किसी भी समाज के हों उन्हने बधाई हो क्योंके परशुराम किसी जात किसी धर्म के बन्धनों में नहीं बंधे थे उन्हें तो देश और राष्ट्र ही प्यारा था इसलियें सभी को इस पावन अवसर पर हार्दिक बधाई .....................
दोस्तों भगवान परशुराम स्वयम भगवान विष्णु के अंशावतार हैं ,और इसी लियें इनकी गणना दशाअवतारों में होती है ,इनका जन्म बैशाख मास के शुक्ल पक्ष के त्रतीय तिथि को हुआ , पिटा भ्रगुवंशी मह्र्शिजम्दाग्नी व् माँ का नाम रेणुका है .परशुराम भगवान शिव के परम भक्तों में से प्रमुख हैं ..उनका वास्तविक नाम राम था किन्तु फरसा यानी परशु धारण करने के कारण उन्हें परशुराम कहा जाने लगा .......भगवान परशुराम भार्गव गोत्र की सबसेआयाकारी संतानों में से एक थे इनके बारे में कथा है के इनकी माँ रेणुका से कोई गलती होने पर पिता नाराज़ हो गए तो इनके पिता ने बढ़े भाइयों से माँ का कत्ल करने को कहा तो किसी ने भी माँ की गरदन पर तलवार नहीं चलाई अंत में पिता ने अपने इस आज्ञाकारी पुत्र से माँ और भाइयों की गर्दन काटने का कहा तो एक आज्ञाकारी पुत्र की तरह परशुराम जी ने अपनी माँ और भाइयों का सर काट दिया इस पर पिता प्रसंन्न हुए और वरदान मांगने को कहा तो परशुराम जी ने भाइयों और माता को फिर से जीवित होने का वरदान माँगा और पिता ने वरदान पूरा कर सभी को जीवित कर दिया ....कहते हैं के परशुराम जी क्रोधी और लडाकू स्वभाव के थे एक ब्राह्मण के घर पैदा होने पर भी क्षत्रिय के स्वभाव के बारे में कहा जाता है के जब इनकी माँ इनके जन्म का प्रसाद लेने गयी तो विश्वामित्र की माँ और इनकी माँ का प्रसाद अदल बदल हो गया बस इसीलियें परशुराम ब्रह्मण के घर पैदा होकर भी क्षत्रिय का रूप धारण किये हुए थे और विश्वामित्र क्षत्रिय के घर पैदा होकर भी ऋषि मुनि हो गये थे तो जनाब कल परशुराम जी की जयंती पर सभी को हार्दिक बधाई ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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