दोस्तों जिस राजस्थान को रेगिस्तान के नामा से जाना जाता रहा हे आज खुदा का शुक्र हे के वहां हरियाली हे और कई हिस्सों में तो राजस्थान इतना हरा भरा हो गया हे के वहां कीमती वन सम्पद्दा और वन्य जीव आखेट कर रहे हें जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हें लेकिन अफ़सोस इस बात का हे के राजस्थान सरकार को इस बेशकीमती दोलत की सुरक्षा की कोई फ़िक्र नहीं हे और इसिलिएँ पर्यावरण प्रेमी राजस्थान सरकार से नाराज़ हे .
आज एक कार्यक्रम के दोरान प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकार और पर्यावरण प्रेमी लेखक जनाब ब्रिजेश विजय वर्गीय से पर्यावरण संतुलन और वन सम्पद्दा की सुरक्षा के विषय में चर्चा हो रही थी , चर्चा में मुख्य बिंदु वन सम्पद्दा का था जो सभी योजनाओं के बाद भी नष्ट होती जा आरही हे हमारा मन्ना था के राजस्थान वन सम्पद्दा के मामले में इतना धनी हे के राहुल,सोनिया,प्रियंका सहित देश के सभी आदरणीय उच्च वर्गीय लोग और पर्यटक इस बेशकीमती हरियाली और वन्य जीव सम्पद्दा को देखने चले आते हें जंगल में कोनसा शेर कोनसा पेंथर कोनसा बाघ कब मर गया उसकी मोत के कारण क्या रहे और वन्य जीवों को केसे सुरक्षित किया जा सकता हे इस मामले में राज्य सरकार के पास कोई पुख्ता प्लान नहीं हे इतना ही नहीं राजस्थान में वन सम्पद्दा में ,कत्था,गोंद ,शहद ,तेंदूपत्ते,लकड़ियाँ और वन सम्पद्दा जो पत्थर सहित अन्य खनिज हे तेज़ी से माफियाओं द्वारा लुटी जा रही हे सरकार हे के इसमें कोई कारगर योजना बनाने की जगह हमजोली बनी हे कहने को कोटा में दारा अभ्यारण्य और रामगढ़ अभ्यारणय का विस्तार किया गया हे सोर्सन अभ्यारणय जो तबाह हो गया हे उसकी कोई पूंछ नहीं हे वहां राज्य पक्षी गोडावन को बचाने की योजना थी लेकिन वनों की सुरक्षा मामले में सरकार पूरी तरह से असफल रही हे .
भाई ब्रिजेश जी जिन्होंने पर्यावरण पर काफी काम किया हे पुस्तके भी लिखी हे उनका कहना था के राजस्थान में वन सुरक्षा और प्रबंधन के नाम पर गार्डों की कमी हे पिछले दिनों वनों की सुरक्षा के लियें करीब एक हजार रिटायर्ड फोजियों को अस्थायी नियुक्ति देकर इस काम में लगाया गया था जिनसे वनों को थोड़ा सा मामूली सा सुरक्षित किया जा सका था वर्तमान में राजस्थान में वन सम्पद्दा की अहमियत को देखते हें यहाँ कमसे कम पांच हजार वन कर्मियों की जरूरत हे लेकिन सरकार तो जो पहले संविदा पर रिटायर्ड फोजियों को लगाया गया था उन्हें भी हटाने का मन बना चुकी हे सरकार का कहना हे के अब हम खुद हमारी मर्जी से एक हजार लोगों को रोज़गार देंगे यह रोज़गार की राजनीति प्रशिक्षित अनुभवी फोजियों को हटाकर नये नो जवान जो जंगल के बारे में कुछ नहीं समझते उन्हें नियुक्त कर सरकार क्या जंगल बचा लेगी सरकार के पास बजट की कमी नहीं हे सरकार को अगर नई नियुक्तिया देना हे तो पुराने लोगों को बिना किसी शिकायत के हटाने का अधिकार नहीं हे क्योंकि रिटायर्ड फोजियों के पहरे की वजह सेही जंगल में वन सम्पद्दा और वन्य जीव सुरक्षित हें वरना तो जो थोड़े से जंगल और जानवर बचे हें इनका भी राम नाम सत्य हो जाएगा और प्राक्रतिक असंतुलन के इस दोर में हमारा राजस्थान फिर से एक खतरनाक पर्यावरण संकट के दोर में आ जाएगा इसे रोकने के लियें पर्यावरण प्रेमियों को एकजुट हाकर राजस्थान सरकार पर दबाव बनाना होगा वरना राजस्थान में जंगल थे ढूंढ़ते रह जाओगे ............................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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