इल्म की हकीक़त एक हदीस में इस तरह से बयान की गयी हे ....
हजरत अली से एक साहब ने पूंछा के इल्म क्या होता हे
हजरत अली ने फरमाया इल्म उसे कहते हें जब कोई ज़ुल्म करे
तो हम उसे माफ़ कर दें , कोई ताल्लुक तोड़ दे तो हम उसे जोड़ने
की कोशिश करें. बदले की आग दिल में हो तो उसे बुझा दो .
मुजरिम सामने आये तो सोचो के तुम्हारा रहम तुम्हारी माफ़ी बढ़ी हे
या उसका जुरतं .. गुस्से में ऐसी कोई बातर न कहो जिससे किसी का दिल दुखे
और बाद में खुद को भी पछताना पढ़े बस यही इल्म यही इस्लामिक साक्षरता
की निशानी हे तो फिर यूँ लोगों से अब शिकवे शिकायत तो बेमानी हें ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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