राजस्थान में वसुंधरा के खिलाफ बना माथुर आयोग टांय टांय फिस्स हो गया है राजस्थान सरकार इस मामले में अपनी जिद पर अड़ी थी और राजस्थान हाई कोर्ट ने जब इस आयोग को नाजायज़ गेरकानुनी करार दिया तो आयोग को जायज़ ठहराने के लियें सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी जहां से मुंह की खाकर वापस लोटी है .
राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार बनते ही यहाँ भाजपा कार्यकाल में वसुंधरा सिंधिया पर जो आरोप लगे थे उनकी जांच के लियें गहलोत सरकार ने सबसे पहले कानून के खिलाफ निजी विचारधारा के तहत अपने मन पसंद हाईकोर्ट रिटायर्ड जज को लेकर एक कमेटी बनाई जिसमे एक आई ऐ एस और आए आई पी एस रिटायर्ड को नियुक किया गया आयोग ने दो वर्षों में करोड़ों खर्च किये लेकिन नतीजा सिफर रहा मामला हाईकोर्ट पहुंचा हाईकोर्ट ने कहा बिना किसी कानून के ऐसा आयोग वाह भई वाह ऐसा नहीं चलेगा और गेरकानुनी इस आयोग को करार दिया गया , आयोग के अध्यक्ष खुद इस्तीफा देकर चल दिए ,खुद रिटायर्ड आई ऐ एस , आई पी एस का सच सामने आते ही वोह चलते बने ,और आयोग भंग सा हो गया.
लेकिन सरकार कब मानने वाली थी राजस्थान सरकार ने इस मामले को सभी कानून खिलाफ होने के बाद भी ना जाने क्यूँ किस बेवकूफ की विधिक सलाह पर सुप्रीम कोर्ट में लेजाने का निर्णय लिया काफी रुपया खर्च करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय को यथावत रखते हुए माथुर आयोग को विधि विरूद्ध करार दे कर बंद करना सही बताय अब प्रतिपक्ष नेता राजस्थान वसुंधरा सिंधिया और समर्थकों के बल्ले बल्ले है वोह सभी जश्न मना रहे हैं जबकि गहलोत सरकार को बेवकूफी की सलाह देने वाले लोग अब बगलें झाँक रहे हैं और इस मामले में उनसे कोई टिप्पणी करते नहीं बन रहा है ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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