जिंदगी गुज़र गयी
लेकिन
कोई भी
मेरे पास
दो मिनट रूककर ना बेठा ................
देखो
आज सभी
मेरे पास
बेठे जा रहे हैं ............
जिंदगी भर
कोई तोहफा न मिला
मुझे जिनसे
आज वाही लोग देखो
मुझे फूल
दिए जा रहे हैं ................
तरस गये थे हम
जिनके हाथ से
दिए एक कपड़े के
रुमाल को
आज देखो
वही मुझे
नये कपड़े उढ़ा रहे हैं ..............
कल कोई दो कदम
साथ ना चलने को
तय्यार नहीं था
आज देखो
मेरे पीछे
वही
काफिला बनाकर आ रहे हैं .............
आज पता चला
के
मोत कितनी हसीं होती है
हम तो पागल थे
उनके प्यार में
बस यूँ ही
जिए जा रहे थे ...........
मरने के बाद
मेरे जनाज़े को
इतना प्यार मिला है
बस यही सोचकर
कभी हम रोते थे
तो कभी
मुकुराए जा रहे थे ..................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
मोत कितनी हसीं होती है
जवाब देंहटाएंहम तो पागल थे
उनके प्यार में
बस यूँ ही
जिए जा रहे थे ...........
सुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद |
एक अच्छी कविता के लिए मेरे ब्लॉग पे आप आमंत्रित हैं |
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मोत कितनी हसीं होती है
जवाब देंहटाएंहम तो पागल थे
achhi lagi rachna ,badhai
जब तक जिंदा रहते हैं तब तक कोई कद्र नहीं मरने के बाद ही अच्छाईयां दिखाई देती हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !! अख्तर भाई...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसाँसों की कैद से आज़ाद तो होना है,
कुछ पाना है मेरा और तुम्हारा खोना है!
मौत तो सिर्फ इक नाम है हसरत,
जागना है रूह का और जिस्म का सोना है!!
तुम्हारी खुशियाँ तुम्हे मुबारक दोस्तों, जहां
में लाख दर्द हैं dhone को जिन्द्दगी फक्त रोना है!
ये तो किस्से है किताबों के निखालिश
की वो काटना है हमने जो बोना है !
साँसों की कैद............................
अख्तर जी आज तो निशब्द कर दिया……………सच्चाई को बडी बेबाकी से बयाँ कर दिया
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा अकेला भैया।
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