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07 अप्रैल 2011

अन्ना अन्ना अन्ना आखिर जीत ही गये बिना लाठी भाटा धरने प्रदर्शन के एक उपवास में ............

मेरे हिन्दुस्तानी दोस्तों मेरी हिन्दुस्तानी बहनों माताओं और जो विदेश में रह रहे हिन्दुस्तानी हैं आज उनेह सभी को अन्ना समर्थकों का सलाम एक अन्ना जिसने देश के नेताओं देश के आन्दोलन कारियों की सोच उनकी दिशा और दशा सब कुछ बदल कर रख दिया और इसके लियें किसी हिंसा किसी बंद किसी लाठी भाटा जंग की जरूरत नहीं पढ़ी केवल एक उपवास ने देश में भ्रटाचार की दुनिया बदल कर रख दी . 
आज मेरी बिटिया ने मुझ से पूंछा पापा यह अन्ना हजारे कोन हैं आज लोग इनके दीवाने क्यूँ हैं और भाजपा,कोंग्रेस ,शिवसेना,आर एस एस ,बजरंगदल इनका समर्थन क्यूँ नहीं कर रही है , में खुद इस मासूम सवाल पर चुप्पी साध गया फिर बच्ची ने दुबारा सवाल किया पापा बताओं ना क्या अन्ना देश में अभी इन दिनों ही आये हैं जो इसके पहले के भ्रस्टाचार मामलों में वोह कभी नहीं बोल पाए  उसके इस सवाल पर मुझे जवाब देना जरूरी हो गया .
मेने बिटिया से कहा बेटा यह अन्ना गांधीवादी हैं उपवास पर कई मंत्रियों और कई अधिकारीयों को हटा चुके हैं और यह भ्रस्ताचार के खिलाफ देश में ही रहकर जंग लड़ते रहे हैं लेकिन यह बात सही हे के सर से पानी गुजरने पर ही आज अन्ना देश के एक सिपाही की तरह सार्वजनिक रूप से पहली बार बढ़ी लढाई लढने के लियें निकले हैं जिसमे देश की जनता का उन्हें समर्थन है मेने कहा चलो देर आयद दुरुस्त आयद भ्रस्ताचार के खिलाफ यह मुहीम देर से ही सही लेकिन शुरू तो हुई मेने बिटिया से कहा के एक अन्ना ही हैं जिन्होंने भ्रटाचार के मामले में जनता को एक जुट कर सरकार को हिला कर रख दिया बिटिया का दुसरा सवाल पापा क्या जो जनता जो समाजसेवक जो रिटायर्ड लोग अन्ना के साथ लगे है वोह गारंटी से ईमानदार हैं क्या उन्होंने कभी बेईमानी नहीं की या फिर वोह भविष्य में कभी बेईमानी नहीं करेंगे में फिर चुप लेकिन बिटिया ने फिर मुझे टटोला हार कर मुझे कहना पढ़ा बेटा मुझे पता नहीं लेकिन शिक्षा तो यही है के सभी को पहले अपने गिरेबान  में झाँक कर देखना चाहिए कोई गलती हो तो उसे सूधार कर ही आन्दोलन में उतरना चाहिए मेने बिटिया को पहले खुद गुड खाना छोड़ने और फिर बच्चों को गुड नहीं खाने की नसीहत वाली कहानी सुनाई ,बिटिया ने फिर कहा के पापा एक कहावत खुद तो गूढ़ खाओ और गुलगुलों से परहेज़ करो ऐसा भी तो होता है में झल्ला गया लेकिन मेने खुद को फिर सम्भाला और कहा के बेटा में तो बस अन्ना हजारे की गारंटी ले रहा हूँ वोह तो एक दम साफ़ सुथरी छवि वाले संघर्ष शील आदमी है बिटिया ने फिर पूंछा तो फिर यह हजारे इतने सालों से खुलकर क्यूँ नहीं बोले में फिर झल्लाया अरे तो सवालों की दूकान बन गयी हे चल पढ़ी पढ़ लेकिन वोह कहाँ चुप रहने वाली थी उसने मुस्कुरा कर फिर सवाल किया के कोंग्रेस और भाजपा और दुसरे राष्ट्रभक्त संगठन इसमें अन्ना के साथ क्यूँ नहीं आ रहे हैं इसकी क्या वजह है में फिर झल्लाया अरे मुझे क्या पता तुम तो यह सब उन लोगों से ही पूंछ लेना , बिटिया ने फिर कहा पापा आप वकील हो ,आप पत्रकार हो ,आप समाजसेवक हो भ्रस्ताचार और मानवाधिकार के लियें लड़ते हो तो फिर में किसी और से इन सवालों के बारे में क्यूँ पूंछू में बिटिया को पास बुलाया उसे पुचकारा और बात को टालते हुए कहा के बेटा तुम खुद ही अन्ना को देखलो आज अन्ना के आलावा मिडिया टी वी अखबार में कोई खबर नहीं है और सरकार उनके उपवास अनशन के आगे झुक गयी है देर से ही सही उन्होंने देश को एक नई दिशा नई सोच भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन की एक ताकत तो दी है और अन्ना की लढाई खुद के लियें नहीं किसी राजनितिक पार्टी के लियें नहीं देश के लियें है और इस लढाई में ना कोई रेली,ना कोई धरना ना कोई प्रदर्शन न लाठी ना भाटा  और सरकार झुक गयी तो बेटा यह तो अच्छी  बात है ,बिटिया ने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा ........में समझ गया के यह इसके सवालों का जवाब जो में नही दे सका उस पर मुस्कुरा रही है लेकिन फिर भी बिटिया ने पापा का दिल रखने के लियें गर्व से कहा तो पापा ऐसे अन्ना को तो मेरा भी सलाम कहिये .........बिटिया तो स्कुल चली गयी लेकिन उसके यह अंतर्मन को छेड़ते सवाल तीर की तरह आज भी मुझे भेद रहे हैं ...................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान


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