विश्व स्तर पर जेनेवा संधि के तहत विश्व के मरीजों और आम नागरिकों को स्वास्थ के प्रति जागरूक और साक्षर करने के लियें सात अप्रैल विश्व भर में स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और कोटा सहित पुरे भारत और विश्व में कल सात अप्रैल को स्वास्थ दिवस मनाया जाएगा .
विश्व स्तर पर मनाये जा रहे इस दिवस पर चिकित्सक अपने निजी स्वार्थो से उबर नहीं सके हैं और इस दिन भी वोह जनता के स्वास्थ्य के लियें विशेष कार्यक्रम करने की जगह खुद अपने लियें मांग कर रहे हैं लोगों का मानना है के डॉक्टर मरीजों को रूपये के बदले देखता है और एक वर्ष में ३६५ दिन में से ३६४ दिन तक खुद के बारे में सोचता है इसीलियें जनता के बारे में सोचने के लियें विश्व स्तर पर यह दिन तय किया गया है लेकिन इस दिन भी निजी अस्पतालों से लेकर सरकारी अस्पतालों तक और डॉक्टरों के घर पर मरीज़ देखने तक किसी चिकित्सक ने भी जनता के लियें नहीं सोचा है हाँ खुद के लियें सोचते हुए कोटा के डॉक्टरों में अभी हाल ही में निर्वाचित आई एम ऐ अध्यक्ष डोक्टर नरेश राय ने अपनी टीम के जरिये इस दिन जनता के साथ विभिन्न कार्यक्रमों जेसे रक्तदान चिकित्सा शिविर के रूप में मनाने का निर्णय लिया है लेकिन इन जनाब ने भी इस दिन अपने स्वार्थ की बात करते हुए कहा है के राजस्थान में बनाया गया मेडिकल प्रेक्टिशनर एक्ट को पूरी तरह से लागु करवाने के लियें संघर्ष का एलान किया है . लोगों का मानना है के चिकित्सक इस मांग को कभी भी रख सकते थे विश्व स्वास्थ्य दिवस के दिन तो यह लोग जनता की सेवा करते जनता को स्वस्थ केसे रखा जाए इसके बारे में कोई योजना बनाते लेकिन ऐसा नहीं किया गया है .
हमारे देश में चिकित्सकों को भगवान भी कहा गया हे तो शेतान भी कहा जाने लगा हे लेकिन कानून जो चिकित्सकों को कंट्रोल करने के लियें चिक्तिसा परिचालन नियम २००२ बनाया गया हे अगर जनता संघर्ष कर इस कानून को शत प्रतिशत लागू करवा दे तो हकीक़त में जो चिकित्सक मिशन के लियें जी रहे है वोह पूजे जाएँ और जो चिकित्सक रूपये और निजी लालच लुट के लियें जी रहे है उन्हें राक्षस घोषित कर सरे आम बेईज्ज़त किया जाए साथ ही चिकित्सा परिचालन नियमों का उलंग्घन होने पर ऐसे चिकित्सकों का नाम मेडिकल कोंसिल और इंडिया के रजिस्टर में से काट कर उनकी चिकित्सा की डिग्री भी छीनने का कानून है इसलियें चिकित्सकों से निवेदन है के विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जनता को इंसान समझकर उनके प्रति समर्पित कार्य करें और जो चिकित्सक रूपये को भगवान समझकर महंगी कमिशन की दवाएं बे मतलब की लिखते है फ़ालतू अनावश्यक जांचें करवाकर कमिशन खाते हैं जेनेरिक की जगह दूसरी दवाएं लिखते हैं मरीजों का नाम रजिस्टर में नहीं लिखते उन्हें फ़ीस की रसीद नहीं देते अपना रजिस्ट्रेशन पर्चे पर नहीं लिखते ऐसे चिकित्सकों को क्या कहें इसका फेसला खुद साथी चिकित्सक करें और उन्हें दंडित करें ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Nice post.
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग का लिंक 'ब्लॉग कि ख़बरें ' ब्लॉग पर लगाया जा रहा है .
अनवर भाई शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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