जी हाँ मेरा अपना कोटा जहां आये दिन गोलीबारी,चाकूबाजी,गेंगवार से जनता दुखी हे पुलिस सुचना के बाद भी घंटों घटनास्थल पर नहीं पहुंचती और पूंछताछ के नाम पर उनको पकड़ लेती हे जिनके खिलाफ कोई गवाही कोई सबूत नहीं होते हें इसी मामले में कोंग्रेस के नेता नईमुद्दीन गुड्डू और पीड़ित परिवारों के लोगों ने कल यहाँ सुनवाई के दोरान राजस्थान के गृहमंत्री शान्ति कुमार धारीवाल से इसकी शिकायत की .
शिकायत नम्बर एक ...............डोक्टर का कहना था के मेरे पुत्र कफील पर पहले भी जानलेवा हमा हिस्ट्रीशिटर शानी ने किया था इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई ,फिर लगातार धमकियां मिलने पर एक बार फिर इस मामले में थाने में शिकायत दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की डोक्टर पिता का आरोप था के अपराधी शनै ने बेरहमी से मेरे पुत्र पर एक के बाद एक फायर किये और वोह चलती मोटर साइकल से सडक पर गिर गया जिससे उसकी मोके पर ही मोत हो गयी पुलिस को तत्काल सुचना दी गयी लेकिन पुलिस इसे शानी अपराधी द्वारा गोली चलाकर हत्या कर देने का मामला मानने को तय्यार नहीं थी पुलिस तो कहती थी यह तो दुर्घटना हे और इसीलियें वोह मोके पर भी लेट पहुंची कई लोगों ने शेम शेम कहा लेकिन इसी बीच पुलिस जी आये स्पष्टीकरण दिया और मामला रफा दफा.
दूसरी शिकायत ..नईमुद्दीन गुड्डू कथुन बनियानी में म्र्तक और गिरफ्तार लोगों के परिजन साथ में हें नईमुद्दीन गुड्डू जिला परिषद के सदस्य और कोंग्रेस के टिकिट पर हारे हुए विधायक हे उन्होंने कहा के बनियानी में नरेगा टेडर को लेकर हत्या हुई पुलिस को बुलाते रहे लेकिन पुलिस वक्त पर नहीं पहुंची और अपराधी भाग गये , पुलिस ने इस मामले में उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया हे जिन लोगों का एफ आई आर में नाम नहीं हे और फरियादी के परिजन भी उसे गिरफ्तार करवाना नहीं चाहते इस पर भी गृह मंत्री कुछ कहते के पुलिस जी आये स्पष्टीकरण दिया और मामला साफ़ .
इस तरह की कई घटनाए इस जन सुनवाई में सामने आयीं कुल मिलाकर जनसुनवाई के दोरान अगर जिस पुलिस की शिकायत हो रही हे अगर उसकी मोजुदगी रहती हे तो पहले तो शिकायतकरने वाला पुलिस के अधिकारीयों को देख कर डर जाता हे और शिकायत नहीं करता इधर वोह बीच बीच में भी शिकायतें करता हे ऐसे में अगर पुलिस अधिनियम के तहत कोई कार्यवाही होती और जांच के बाद दोषी लोगों को दंडित किया जाता तो जन सुनवाई की अहमियत थी लेकिन अगर जनसुनवाई जिसकी शिकायत हे उसकी मोजुदगी में हो तो फिर ऐसी जनसुनवाई का क्या मोल रह जाता हे .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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