नवरात्र वर्ष में दो बार चेत्र और अश्वनी माह की प्रतिपदा से नवमी तक धार्मिक आयोजनों के साथ मनाये जाते हें , इस पर्व को शक्ति रूपा माँ दुर्गा की आराधना करके उन्हें प्रसन्न क्र सुख सम्रद्धि की कामना के लियें पूजा की जाती हे इसके लियें प्रतिमा को स्थापित करके नो दिन तक दुर्गा माँ की पूजा अर्चना कर नवमी को प्रतिमा विसर्जन करते हें , इस अवसर पर त्रिशूल,शंख,तलवार,धनुष,बाण चक्र ,गदा और कमल सहित शस्त्रों की नो दिन तक पूजा की जाती हे .
हिन्दू आस्थाओं में माँ दुर्गा को शक्ति की देवी मन जाता हे और इसीलियें मोक्ष प्राप्त की लियें नो दिन तक उनके अलग अलग रूपों की पूजा की जाती हे इनके नो रूपों में शेल्पुत्री ,ब्रह्मचारिणी ,चन्द्र्घता,कुष्मांडा ,स्कन्दमाता, कात्यायनी,कालरात्रि,म्हागोरी,सिद्धिदात्री ,को ही नवदुर्गा मान कर इनकी पूजा की जाती हें वेसे इन दिनों प्रतिपदा से दिन बढ़े और रातें छोटी होती हें ऋतुओं और बदलते मोसम का प्रभाव मानव जीवन पर न पढ़े इस लियें वैज्ञानिक रूप से नो दिनों में नो व्रत उपवास का निधन किया और साधना से मानव की आंतरिक ऊर्जा जागती हे जिससे मानव जीवन के स्वस्थ पर विपरीत प्रभाव पढने से बच जाता हे सभी को नवरात्रा और चेटी चंड ,नव वर्ष,गंगोर पूजन, महावीर जयंती, हनुमान जयंती गुड फ्राइडे की अभी से मुबारकबाद . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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