जी हाँ राजस्थान की ब्यूरोक्रेट्स सरकार जहां जनता और जनप्रतिनिधि से ज़्यादा अधिकारीयों को तवज्जो दी जाती हो और जनप्रतिनिधि द्वारा चीख चीख कर इन्हें हटाने की मांग करने पर भी अगर नहीं हटाया जाये और खुद जयपुर की महापोर को कोप भवन में जाना पढ़े तो फिर ऐसी सरकार का क्या होगा खेर सरकार महापोर के आगे झुक गयी हे और उसने पांच अधिकारीयों के तबादले कर दिए हैं .
राजस्थान के जयपुर में अभी पिछले दिनों एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री,स्वयात्शासन मंत्री सहित कई मंत्रियों की उपस्थिति में महापोर ज्योंति ने अपनी व्यथा बयान की थी उन्होंने साफ़ शब्दों में अधिकारीयों के निकम्मे होने , मनमानी कार्यवाही करने , निरंकुश होने के आरोप लगते हुए कहा था के अगर मुख्यमंत्री जी को सरकार की छवि बेदाग़ रखना हैं तो जयपुर नगर निगम में लगे पांच आर ऐ एस प्रशासनिक अधीकारियों को तुरंत हटा दे इनका जनप्रतिनिधियों और जनता से अच्छा व्यवहार नहीं है, जयपुर की महापोर जो कोंग्रेस सन्गठन की प्रतिनिधि भी हैं उनके खुलेआम इस चेतावनी के बाद अधिकारीयों ने शर्मिंदा होने की जगह मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया और नतीजा यह रहा के ट्रासफर लिस्ट तो निकली लेकिन जयपुर नगर निगम से अधिकारी नहीं हटाए गए फिर एक लिस्ट निकली लेकिन नतीजा वही अधिकारीयों के पक्ष में सरकार की इस हरकत से खुद महापोर भी सकते में आ गयी और उन्होंने नगर निगम आना जाना छोड़ दिया एक लोकतंत्र में चुनी गयी महापोर को ब्यूरोक्रेट्स ने जब अंगूठा दिखाया तो भाजपा के पार्षदों ने भी उनका साथ दिया और अब मुख्यमंत्री और सरकार को महापोर की त्रिया हठ के आगे झुकना पढ़ा और कल १११ अधिकारीयों की ट्रांसफर लिस्ट में नगर निगम जयपुर के पांच अधिकारीयों को भी हटा दिया गया अब कहीं जाकर जयपुर की महापोर फिर से दफ्तर में बैठकर अपना कामकाज शुरू करेंगी ...................... है ना नोकरशाही का बहतरीन उदाहरण ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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