कोटा प्रेस क्लब में हंगामा होली २०११ का आज सफल;तम आयोजन किया गया हंसी और ठहाकों के बीच भाई चारा और सद्भावना के माहोल में यह होली सह्तिय्कारों ,कवियों और पत्रकारों के लियें यादगार बन गयी .
आह फागुन के इस अवसर पर रंगों की खुशबु बिखेरने के लियें प्रेस क्लब की कार्यकारिणी ने हंगामा होली २०११ का आयोजन रखा जिसमें मुख्य अतिथि कोटा पुलिस रेंज के आई जी दलपत सिंह दिनकर थे जबकि अध्यक्षता कोंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और गांधीवादी नेता पंकज मेहता ने की कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि उप अधीक्षक संजय गुप्ता थे .
हंसी और ख़ुशी भरे इस माहोले में कार्यक्रम के शुरुआत के पूर्व प्रेस क्लब के अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज ने अपनी हंसी ठिठोली से सभी को गुदगुदाया और इसी बीच सचिव हरि मोहन शर्मा संयुक्त सचिव पवन परिक उपाध्यक्ष नीरज गुप्ता , कार्य्करिनिं सदस्य मुझ सहित गिरीश गुप्ता और अन्य ने सभी आगंतुकों का तिलक लगा कर स्वागात्त किया और माहोल को सुंगंधित बनाने के लियें खुशबु बिखेर कर सभी के तन और कपड़ों को खुशबूदार बना दिया होली के इस कार्यक्रम की शुरुआत में तिलक होली के नाम पर तिलक लगाये गये ख्यातनाम शायर चाँद शेरी ने धर्म परम्परा के अनुसार अपने दायें हाथ पर तिलक लगा कर होली की इस रस्म का सम्मान किया . होली के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आई जी दलपत सिंह दिनकर,पंकज मेहता और अन्य ने माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की . हंसी फुहार के इस कवि सम्मेलन में माँ सरस्वती की वन्दना के लियें भाई धीरज गुप्ता तेज ने इन्दर पाल सिंह निडर ब्लोगर कवि को पुकारा जिन्होंने माँ सरस्वती के सम्मान में एक रचना पढ़ कर सभी को भ्रस्ताचार से मुक्त रहने की दुआ की . अब मंच देश के जाने माने हाडोती के लाडले युवा तुर्क कवि भाई अतुल कनक को मंच का संचालन सोंपा गया , अतुल जी ने मंच का संचालन सम्भालते ही माहोल को खुशनुमा और हसीन बनाने के लियें कुछ चुटकुलों और मन को हरने वाली रचनाओं से गुदगुदाया , उन्होंने मंच पर हास्य कवि भाई हलीम आयना को मंच को हंसाने के लियें पुकारा तो हलीम आयना ने सभी को अपनी रचनाओं से गुदगुदाया उन्हें सच का आयना दिखाया और उनके इस आयने में सभी श्रोता पत्रकार इस तस्वीर को देख कर अपनी हंसी नहीं रोक सके तालियों की गडगडाहट और ठहाकों की खनखनाहट की मधुरता के बीच भाई अतुल कनक ने फिर से भाई धीरज गुप्ता तेज को पुकारा और धीरज भाई ने एक तराना तुम मेरे हो इस लहजे में पढ़ा के सभी उस में दम कर रह गये , इस खुशनुमा माहोल को और रंगीनियत देने के लियें अतुल कनक ने आकाशवाणी के अधिकारी भाई रामनारायण हलधर को पुकारा और उन्हने अपने गीत और दोहों से उपस्थित लोगों का मन जित लिया माहोल को हंसी मजाक से लेकर थोड़ा श्रंगार की तरफ ले जाने के लियें भाई प्रद्युमन शर्मा सम्पादक मालिक जननायक को पुकारा गया और एक श्र्गार की कविता पढने के बाद अपने अनुभवों के आधार पर लिखी एक कविता तुम कहना थे पढ़ कर माहोल को एक सोच में डुबो दिया भाई प्रद्युमन ने इस रचना के माध्यम से एक मोका परस्त भाई का विवरण चित्रित किया जो कई वर्षों से बाप और माँ की मोत के बाद भी घर से दूर था और फिर किसी मतलब के लियें उसे भाई की याद आ गयी थी , इस खामोश गम्भीर माहोल को हंसी का रंग देने के लियें बाई अतुल कनक ने फिर हाडोती के जाने माने कवि धन्नालाल सुमन को पुकारा और भाई सुमन ने खुद के चुनाव लढने से हरने तक की कहानी हंसी हंसी में ब्यान कर दी उनके इस अंदाज़ से प्रभावित होकर जब रामनारायण हलधर ने उनके गले में माला डाली तो उन्होंने फूलों की व्यथा ब्यान कर दी उन्होंने कहा के यह माला मेने कम से कम दस मिनट पहनी हे और बाकी लोगों ने एक मिनट भी नहीं पहनी उन्होंने कहा में तो माली हूँ फूलों का दर्द समझता हूँ एक माला बनाने में कमसे कम दस मिनट लगते हें और हम इस माला को एक मिनट किया एक सेकंड में ही उतार फेंकते हें बात सही भी हे लाखों मालाएं रोज़ भ्रष्ट नेताओं के चरणों में बिखरी पढ़ी रहती हे खेर फिर धन्ना लाल सुमन ने अपनी साहित्यिक और हास्य रचनाओं से माहोल ठहाकों से गूंजा दिया , भाई अतुल कनक ने इसके बाद चाँद सेरी को बुलाया जिन्होंने धीर गम्भीर रदीफ़ काफिया में जमी एक खुबसूरत गजल खुबसूरत अंदाज़ में पेश की जिसमें उन्होंने पुरे देश के हालत की अक्कासी कर डाली इस माहोल को वापस से हंसी की तरफ ले जाने के लियें भाई इन्द्रजीत सिंह जी निडरता से आगे आये और उन्होंने देश में व्याप्त भ्रस्ताचार के बखिये अपने अंदाज़ में उखेड दिए नेताओं को भ्रष्टाचार का हिस्सेदार बताते हुए भाई इन्द्रजीत सिंह जी ने अपनी इस रचना में आज का कडवा सच पिरो कर रख दिया . इस माहोल को और अधिक रचनात्मक बनाने के लियें भाई अतुल चतुर्वेदी को बुलाया गया तो उन्होंने तो कमाल ही कर दियादेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और घोटालेबाजों से सबक लेकर समाज में घोटालों के प्रति बढ़ रहे आकर्षण का हवाला देते हुए चतुर्वेदी ने अपनी रचना में कहा के भ्रष्टाचार आज स्टेटस सिम्बल बन गया हे और इसी लियें समाज में ज़िंदा रहने के लियें बीवी और बच्चे भी घर वालों को घोटालों के लियें उकसाते हें और हर कोई शख्स भ्रस्ताचार और घोटाला करने के लियें निकल पड़ा हे समाज के इस सच्चे चित्रण को जिस सफल अंदाज़ में अतुल चतुर्वेदी ने पेश किया उसे सुन कर सभी श्रोताओं के मुंह से वाह निकल पढ़ी और प्रेस क्लब का हाल तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा . माहोल को तरन्नुम का माहोल देने के लियें राष्ट्रिय कवि गीतकार विश्व मित्र दाधीच ने अपनी सुन्दर रचना पढ़ी . प्रेस क्लब में वृष्ट सदस्य भाई अरुण सक्सेना ने भी एक दर्द भरे अंदाज़ में अपनी रचना लोगों को सुनाई और दाद ली . इस माहोल को रचनात्मक साहित्यिक बनाने के लियें भाई अतुल कनक को खड़ा किया गया मान मनुहार की गयी और फिर भाई अतुल कनक ने एक प्रेमी जो बिछड़ गये हें उनकी यादों उनकी स्म्रतियों को बिछड़ जाने के बाद जिस अंदाज़ में पेश किया वोह लोगों की मन की गहराइयों में उतर गया और सभी श्रोता मन्त्र मुग्ध होकर अपने अपने प्रेमी प्रेमिकाओं की यादों खो गये इस खुशनुमा माहोल के समापन का यूँ तो किसी का मन नहीं था लेकिन वक्त थमता नहीं हे इसलियें इस कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि आई जी दलपत सिंह दिनकर ने सभी कवियों को सभी पत्रकारों को होली की बधाई दी और एक सुर्रा गुपचुप छोड़ा के में अभी तो केवल ग़ालिब की गज़ल कहता हूँ लेकिन बाद में कवियों पर ही कविता सुनाऊंगा क्योंकि कवि भी नेता और पुलिस पर खूब कविताएँ बनाते हें , कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे गाँधीवादी कोंग्रेस के नेता भाई पंकज मेहता ने सभी श्रोताओं से भाईचारे और सद्भावना से रंगों के इस त्यौहार को मनाने की अपील की कार्यक्रम में ज्योति पाठक , सुरक्षा राजोरा ,कय्यूम अली धीरज गुप्ता तेज, नीरज गुप्ता , जगेंदर भटनागर, श्याम सुन्दर शर्मा , अख्तर खान अकेला ,गिरीश गुप्ता गजेंदर व्यास सहित कई लोगों ने कवियों और शायरों अतिथियों का सम्मान किया .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)